तालिबान को जल्‍द मान्‍यता दे सकता है भारत, आतंकी संगठन अलकायदा और आइएस बने चिंता का कारण

भारत सरकार ने तालिबान से आधिकारिक तौर पर वार्ता शुरू कर दी है और इस बात के भी संकेत है कि अफगानिस्तान में जल्द गठित होने वाली तालिबान की सत्ता को भारत मान्यता देने में ज्यादा देर नहीं करेगा। परंतु, तालिबान के साथ रिश्तों की गाड़ी किस तरफ जाती है यह पूरी तरह से इस बात से तय होगी कि अफगानिस्तान में भारत विरोधी शक्तियों को किस तरह से देखा जाता है। भारत कतई यह नहीं चाहेगा कि तालिबान शासन के तहत अलकायदा और इस्लामिक स्टेट-खुरासान (आइएस-के) जैसे आतंकी संगठन उसके हितों के लिए वैसा ही खतरा बने, जैसा अशरफ घनी सरकार के कार्यकाल में तालिबान बना था।
पिछले 24 घंटों के दौरान अलकायदा जैसे संगठनों ने तालिबान में मजबूत होने के संकेत दिए हैं, जिससे भारत की चिंता बढ़ गई है। एक दिन पहले कतर में भारतीय राजदूत दीपक मित्तल और तालिबान के शीर्ष नेता मुहम्मद अब्बास स्टेनकजई की मुलाकात की खबरों के आने के कुछ ही घंटे बाद अलकायदा ने एक विस्तृत नोट जारी किया है। इसमें एक तरफ अलकायदा ने तालिबान की जीत को ऐतिहासिक बताते हुए कश्मीर जैसे इलाकों में विदेशी हुकूमत के खिलाफ कार्रवाई जारी रखने की बात कही है।

यही नहीं, भारतीय खुफिया एजेंसियों को इस बात की सूचना भी है कि अफगानिस्तान के कई इलाकों में आइएस-के और अलकायदा के आतंकी संगठित हो रहे हैं। अफगान के नंगरहार प्रांत में अलकायदा के आतंकियों का भारी जमावड़ा देखा गया है। अलकायदा का सुरक्षा प्रमुख अमीन अल-हक ने आतंकियों को संबोधित भी किया था। इसी तरह से यह सूचना भी आ रही है कि 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा करने के बाद तालिबान की तरफ से आइएस-के के जिन आतंकियों को छोड़ा गया था वो भी संगठित हो रहे हैं।

सूत्रों का कहना है कि भारत को इस बात की आशंका है कि अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद भी अस्थिरता जारी रह सकती है, जिसका फायदा आइएस-के और अलकायदा जैसे संगठन उठा सकते हैं। पिछले दस वर्षों में जैसे-जैसे काबुल की अशरफ गनी सरकार की पकड़ प्रांतों पर कमजोर होती गई, वैसे-वैसे तालिबान मजबूत होता गया है।
भारत ने पिछले एक पखवाड़े में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की तीन बैठकों में जैश-ए-मुहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के साथ ही आइएस-के और अलकायदा के खतरों की तरफ दुनिया का ध्यान आकर्षित करवाया है। तालिबान नेता के साथ बैठक में भी राजदूत ने कहा है कि उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं होगा। तालिबान ने आश्वासन दिया है कि वह इन मुद्दों पर सकारात्मक कदम उठाएगा।,