सैकड़ों करोड़ रुपए के स्मारक घोटाला मामले में विजिलेंस मुख्यालय लखनऊ में आकर पूर्व कैबिनेट मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा ने बयान दर्ज करवाया. इस दौरान विजिलेंस के अधिकारियों ने कुशवाहा से पूछताछ भी की. इससे पहले विजिलेंस ने दो बार कुशवाहा को नोटिस देकर विजिलेंस मुख्यालय बुलाया था. लेकिन स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए कुशवाहा बयान दर्ज कराने और पूछताछ के लिए हाज़िर नहीं हुए थे. इसी घोटाले में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी अपना बयान विजिलेंस के सामने दर्ज करा चुके हैं. वहीं, विजिलेंस इस मामले में गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ कोर्ट की कार्रवाई में तेज़ी लाई है.
आपको बताते चलें कि 2014 में विजिलेंस ने इस मामले की एफआईआर दर्ज कराई थी. पूरा मामला 2007 से 2011 के बीच लखनऊ और नोएडा में दलित महापुरुषों के नाम पर बने स्मारकों के निर्माण में घोटाले के आरोप का है. अखिलेश यादव की सरकार में विजिलेंस ने इस घोटाले की एफआईआर गोमतीनगर थाने में दर्ज कराई थी. लेकिन विवेचना में कुछ ख़ास नहीं किया गया. 2017 में सूबे में आई योगी सरकार ने जांच में तेज़ी लाई.
खरीद में भारी अनियमितता और भ्रष्टाचार
एमपीएमलए कोर्ट के विशेष जज पवन कुमार राय ने अरबों के स्मारक घोटाला मामले में उप्र राजकीय निर्माण निगम के तत्कालीन अधिकारी अजय कुमार व सुनील कुमार त्यागी समेत पांच अभियुक्तों की जमानत अर्जी खारिज की थी. कोर्ट ने इस मामले के अभियुक्त ज्ञानेंद्र कुमार अग्रहरि, सुखलाल यादव व पुरुषोत्तम के अपराध को भी प्रथम दृष्टया गंभीर करार दिया. साथ ही इनकी भी अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी. एक जनवरी, 2014 को इस मामले की एफआईआर यूपी विजिलेंस के इंस्पेक्टर राम नरेश सिंह राठौर ने थाना गोमतीनगर में दर्ज कराई थी. एफआईआर के मुताबिक, वर्ष 2007 से 2011 के दौरान लखनऊ व नोएडा में स्मारकों के निर्माण के लिए पत्थरों की खरीद में भारी अनियमितता और भ्रष्टाचार हुआ था.