‘मुसलमानों के लिए भारत दुनिया में सर्वश्रेष्ठ’, बोले अभिनेता- जो ऐसा नहीं सोचते उन्होंने अन्य मुस्लिम देश नहीं देखे

केआरके ने लिखा- जब तक आपके पास भारतीय राष्ट्रीयता है, आप भारतीय हैं कमाल आर. खान ने कहा, सीरिया, इराक, मिस्र, लीबिया आदि के ज्यादातर लोग यूरोप में बसना चाहते हैं, मुस्लिम देशों में नहीं केआरके ने कहा, भारत मुसलमानों के लिए सर्वश्रेष्ठ देश है

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां के नागरिकों (मुसलमानों) को लेकर चिंता जताई जा रही है। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की महिला प्रकोष्ठ ने तालिबान का खुलकर विरोध किया है और बयान जारी कर कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान में बेक़सूरों पर जो जुल्म व शितम हो रहा वह इस्लाम के नाम परा एक बदनुमा दाग है। फिल्म अभिनेता और फिल्म क्रिटिक कमाल राशिद खान यानी केआरके ने भी अफगानी मुस्लिमों पर तालिबान की क्रूरता को लेकर भारत को मुसलमानों के लिए दुनिया का सर्वश्रेष्ठ देश बताया है।

केआरके ने अपने एक ट्वीट की अखबार कटिंग को साझा किया है जिसमें उन्होंने लिखा है- मैंने अपने बच्चों से कहा है कि दुनिया में चाहे जहां जाएं, चाहे जो करें, लेकिन कभी भी अपनी राष्ट्रीयता न बदलें, क्योंकि भारत दुनिया में सर्वश्रेष्ठ है। कुछ भारतीय मुस्लिम ऐसा सोच सकते हैं कि भारत उनके लिए अच्छा नहीं है, लेकिन ऐसा सोचने का सिर्फ एख ही कारण है और वह यह है कि उन्होंने अपने जीवन में किसी अन्य मुस्लिम देश को देखा ही नहीं है।

अफगानिस्तान छोड़, भारत आ रहे मुसलमानों का संदर्भ देते हुए कमाल आर. खान ने मुसलमानों के लिए भारत को दुनिया के सबसे अच्छा देश बताते हुए कहा- बहुत सारे अफगानी मुस्लिम अपनी सुरक्षा के लिए भारत आ रहे हैं। तो मेरा यह बयान फिर सौ फीसदी सही साबित हुआ। भारत मुस्लिमों के लिए सबसे अच्छा देशे है।

एक अन्य ट्वीट में भारतीय राष्ट्रीयता का जिक्र करते हुए केआरेक ने लिखा- जब तक आपके पास भारतीय राष्ट्रीयता है, आप भारतीय हैं। चाहे दुनिया में कहीं भी रहें या कुछ भी करें। ये उन लोगों के लिए, जिनके पास पर्याप्त ज्ञान नहीं है। केआरके ने एक और ट्वीट में कहा कि लोग पूछते हैं कि मैं मुस्लिम देशो को बेहतर क्यों नहीं बता रहा? इसके जवाब में केआरके ने लिखा है- बहुत से लोग पूछ रहे हैं कि मैं मुस्लिम देशों को सर्वश्रेष्ठ क्यों नहीं कह रहा हूं?इसका जवाब ये है कि सीरिया, इराक, मिस्र, लीबिया आदि के ज्यादातर लोग यूरोप में बसना चाहते हैं, मुस्लिम देशों में नहीं। अब जरा सोचिए, क्यों?