ओबीसी निर्धारण का अधिकार राज्यों को देने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक पर लोकसभा में हुई चर्चा ने सामाजिक न्याय की राजनीति को नई धार दी है। चर्चा के दौरान कई दलों ने जातीय गणना की मांग उठाई।
चर्चा के दौरान सरकार के सहयोगी जदयू और अपना दल के साथ कई विपक्षी दलों ने जाति आधारित जनगणना की मांग की। एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, एनसीपी की सुप्रिया सुले ने भी जाति आधारित जनगणना के साथ आरक्षण की सीमा को 50 फीसदी से आगे बढ़ाने की मांग की। भाजपा की संघमित्रा मौर्य ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला।
मौर्य ने कहा, आजादी के बाद सबसे अधिक समय तक केंद्र में कांग्रेस की सरकार रही है। हालांकि इस दौरान कांग्रेस ने ओबीसी के हित में एक भी कदम नहीं उठाया। मौर्य ने कहा, कांग्रेस की सरकारों ने जानवरों की गिनती तो की। इनकी संख्या को प्रकाशित भी किया, मगर आधा दशक तक सत्ता में रहने के बावजूद ओबीसी समाज की गिनती नहीं कराई।
सरकार के साथ मगर सामाजिक न्याय अहम
सरकार के दो सहयोगी दलों जदयू और अपना दल ने जाति आधारित जनगणना को विशेष अहमियत दी। जदयू के ललन सिंह ने जहां इसे वक्त की जरूरत बताया। वहीं अपना दल की अध्यक्ष और वाणिज्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि वास्तविक संख्या जाने बिना ओबीसी को सरकारी योजनाओं सहित कई अन्य योजनाओं का लाभ पहुंचाना संभव नहीं है।
कांग्रेस-भाजपा चुप
जाति जनगणना के सवाल पर भाजपा ने ही नहीं बल्कि कांग्रेस ने भी चुप्पी साध ली। कांग्रेस ने भले ही आरक्षण के लिए तय 50 फीसदी की सीमा को खत्म करने की मांग की, मगर जाति आधारित जनगणना के सवाल पर पार्टी ने चुप्पी साध ली। भाजपा की ओर से श्रममंत्री भूपेंद्र यादव, संघमित्रा मौर्य सहित चार सदस्यों ने चर्चा में हिस्सा लिया।