नार्वे में राजधानी ओस्लो के नजदीक रविवार देर रात तेज आवाज के साथ आकाश से उल्का पिंड गिरा। इस उल्का पिंड की आवाज और तेज चमक से लोगों में उसे लेकर कौतूहल पैदा हो गया। कुछ लोग डरे भी, लेकिन उसे लेकर लोगों में चर्चा भी खूब रही। उल्का पिंड से किसी तरह का नुकसान होने की फिलहाल कोई खबर नहीं है।
नार्वे का सरकारी महकमा उल्का पिंड गिरने की घटना का विश्लेषण कर रहा है। जिस स्थान पर उल्का पिंड गिरा है वह ओस्लो से करीब 60 किलोमीटर की दूरी पर जंगली इलाका है। दिन में सरकारी अधिकारी वहां पर जाएंगे और देखेंगे कि उल्का का कितना अस्तित्व बाकी बचा है और उससे कितना नुकसान हुआ है।
उल्का वास्तव में आकाश में चमकने वाले तारे होते हैं जो आकर्षण बल कम होने के कारण अंतरिक्ष से गिर जाते हैं। वायुमंडल में आते ही पैदा होने वाले घर्षण से इनमें आग लग जाती है और उनका ज्यादातर हिस्सा जल जाता है। इसी के कारण वह जलते हुए धरती पर गिरते हैं।
उल्का पिंड नेटवर्क के मोर्टेन बिलेट जिन्होंने उल्का पिंड को गिरते देखा, उन्होंने बताया कि यह बहुत तेज था। रविवार दोपहर तक इसका कोई मलबा नहीं मिला था। बिलेट का कहना है कि संभावित उल्का पिंडों की खोज में करीब 10 साल लग सकते हैं।
बिलेट ने बताया कि उल्का पिंड 15-20 किमी प्रति सेकेंड की रफ्तार से बढ़ रहा था और आसमान में करीब 5-6 सेकेंड तक इसकी चमक दिखाई दी। कुछ लोगों ने यह भी कहा कि उन्होंने इस घटना के साथ एक तेज हवा का झटका महसूस किया, जिससे दबाव की लहर भी पैदा हुई।
बिलेट ने कहा कि कल रात मंगल और बृहस्पति के बीच से एक बड़ी चट्टान के गुजरने करने की संभावना थी, जो कि हमारा क्षुद्र ग्रह बेल्ट है। जब वह गुजरता है तो एक गड़गड़ाहट और प्रकाश पैदा करता है। यह हम एक्सपर्ट के लिए एक उत्साह जबकि कुछ लोगों के लिए डर का विषय होता है।