रक्षा संबंधी सेवाओं में शामिल कर्मचारियों के हड़ताल को गैरकानूनी और आपधारिक करार देने वाला आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक बृहस्पतिवार को लोकसभा में पेश किया गया। हंगामे और शोरशराबे के बीच ही इस विधेयक को पेश करने पर विपक्ष ने कड़ी आपत्ति जताई।
गौरतलब है कि आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) से जुड़े कई संघों के बोर्ड को निगम बनाने संबंधी फैसले के खिलाफ अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की घोषणा के बीच सरकार ने एक जुलाई को इससे संबंधित अध्यादेश जारी किया था।
विधेयक के कानूनी जामा पहनने के बाद रक्षा संबंधी सेवाओं में शामिल कर्मचारी हड़ताल पर नहीं जा सकेंगे। हड़ताल करने की स्थिति में कर्मचारियों केखिलाफ एक साल की जेल या दस हजार रुपये का जुर्माना या जेल के साथ-साथ जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है।
इसके अलावा गैरकानूनी घोषित हड़ताल में भाग लेने के लिए दूसरों को उकसाने वाले को भी निर्धारित जुर्माने के अलावा दो साल तक की कैद की सजा का प्रावधान किया गया है।
हंगामे के बीच पेश हुआ विधेयक
रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने जब विधेयक पेश किया, उस समय जासूसी कांड, किसान आंदोलन सहित कई मुद्दों पर विपक्ष के सदस्य हंगामा कर रहे थे। कांग्रेस के के सुरेश और एनके रामचंद्रन ने विधेयक को अलोकतांत्रिक बताया। दोनों सांसदों ने कहा कि हंगामे के बीच विधेयक को पेश किया जाना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि देश को नागरिक को आंदोलन करने या विरोध जताने केलिए अपराधी नहीं ठहराया जा सकता।
अंतर्देशीय पोत विधेयक भी पेश
पोत से जुड़े राज्यों के अलग-अलग नियमों की जगह पूरे देश के लिए एक संयुक्त कानून का प्रावधान करने वाला अंतर्देशीय पोत विधेयक भी बृहस्पतिवार को लोकसभा में पेश किया गया। इसके तहत अब केंद्र के स्तर पर पंजीयन प्रमाण पत्र जारी होंगे, जिसकी देशभर में मान्यता होगी। विधेयक में दूसरे देशों के जहाजों की सुरक्षा और बचाव के संदर्भ में भी नया प्रावधान किया गया है।
इसके अलावा विधेयक में एक केंद्रीय डेटाबेस बनाने का प्रावधान है जिसमें पोत, पोत पंजीकरण और चालक दल के अलावा अन्य सभी जरूरी विवरण दर्ज होंगे।