प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी मंत्रिपरिषद के नए सदस्यों को नसीहत दी है कि वे अपने पूर्ववर्ती मंत्रियों से कामकाज सीखे और बेवजह बयानबाजी से बचें। नवगठित केंद्रीय मंत्रिपरिषद की गुरुवार शाम हुई पहली बैठक में मोदी ने मंत्रियों से आने वाले संसद सत्र में पूरी तैयारी से आने और सदन में अधिक से अधिक समय रहने को भी कहा है। साथ ही पीएम मोदी ने नए मंत्रियों को पुराने मंत्रियों से कामकाज सीखने की सलाह दी। बुधवार शाम को हुए केंद्रीय मंत्रिपरिषद के विस्तार के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार शाम को नवगठित मंत्रिपरिषद के साथ पहली बैठक की। सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में प्रधानमंत्री ने साफ किया है कि जिन मंत्रियों को हटाया गया है उसके पीछे उनकी क्षमता में कोई कमी नहीं थी। बल्कि व्यवस्था के तहत उन्हें हटाया गया है। प्रधानमंत्री ने नए बने मंत्रियों से कहा कि वे अपने पूर्ववर्ती मंत्रियों के अनुभव से अपने कामकाज को बेहतर करें और जवाबदेही के साथ काम करें।
नए मंत्रियों के साथ बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से हम सभी भीड़-भाड़ वाली जगहों और बिना मास्क या सोशल डिस्टेंसिंग के घूम रहे लोगों की तस्वीरें और वीडियो देख रहे हैं। यह कोई सुखद नजारा नहीं है और इससे हममें भय की भावना पैदा होनी चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमारे कोरोना योद्धाओं और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं द्वारा संचालित, वैश्विक महामारी के खिलाफ भारत की लड़ाई पूरे जोश के साथ चल रही है। हम अपने देश की आबादी की पर्याप्त संख्या में लगातार टीकाकरण कर रहे हैं। परीक्षण भी लगातार उच्च है। ऐसे समय में लापरवाही के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। एक गलती के दूरगामी प्रभाव होंगे और कोरोना पर काबू पाने की लड़ाई कमजोर होगी। उन्होंने अपने मंत्रियों से कहा कि मंत्रियों के रूप में हमारा उद्देश्य भय पैदा करना नहीं बल्कि लोगों से हर संभव सावधानी बरतने का अनुरोध करना होना चाहिए ताकि हम आने वाले समय में इस महामारी से आगे बढ़ सकें।
केंद्रीय मंत्री परिषद के विस्तार के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 12 मंत्रियों को हटा दिया था। इन मंत्रियों को इस्तीफा देने की सूचना देने का काम पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संभाला। सूत्रों के अनुसार, नड्डा ने सुबह सात से आठ के बीच हटाए जाने वाले मंत्रियों को फोन कर इस्तीफा प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजने को कहा। सबसे पहले जल संसाधन राज्य मंत्री रतनलाल कटारिया को फोन कर इस्तीफा देने को कहा। इसके बाद एक-एक कर विभिन्न मंत्रियों को फोन किए गए। इनमें रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर और डॉ रमेश पोखरियाल निशंक भी शामिल थे। अधिकांश ने छोटा सा इस्तीफा लिखकर ही प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजा, लेकिन निशंक ने अपने मंत्रालय की उपलब्धियों के साथ लंबा पत्र लिखकर अंत में स्वास्थ्य संबंधी कारणों से इस्तीफा देने का उल्लेख किया।