महेंद्र सिंह धौनी के बाद जब विराट कोहली टीम इंडिया के कप्तान बने थे तो लगा था कि वह टीम में नई ऊर्जा लेकर आएंगे और उनकी कप्तानी में टीम नई उपलब्धियां हासिल करेगी। ये बात काफी हद तक सही भी साबित हुई और आंकड़े भी इस बात की गवाही देते हैं कि कोहली तीनों प्रारूपों में ही दुनिया के सबसे सफल कप्तानों में से एक हैं, लेकिन ये बात भी सही है कि आंकड़े तस्वीर का दूसरा पहलू नहीं दिखाते। बात जब आइसीसी टूर्नामेंट की आती है तो कप्तान कोहली की झोली खाली नजर आती है।
आइसीसी टूर्नामेंट में वह साधारण से कप्तान नजर आने लगते हैं। आइसीसी के तीन टूर्नामेंट में कप्तानी करने के बावजूद कोहली एक भी खिताब नहीं जीत सके हैं। शुक्रवार को न्यूजीलैंड के हाथों विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) के फाइनल में हारने के बाद अब कोहली की कप्तानी पर एक बार फिर सवाल उठना लाजिमी है और यह इसलिए भी क्योंकि इस साल भारत को टी-20 विश्व कप के रूप में एक और आइसीसी का टूर्नामेंट खेलना है।
कोहली के पूर्ववर्ती धौनी की कप्तानी में भारत ने 2007 टी-20 विश्व कप, 2011 वनडे विश्व कप और 2013 चैंपियंस ट्राफी के रूप में आइसीसी के तीन खिताब जीते थे। इसके बाद धौनी का नाम दुनिया के बिरले कप्तानों में शुमार हो गया। 2013 चैंपियंस ट्राफी जीतने के बाद धौनी ने आइसीसी के तीन और टूर्नामेंट में कप्तानी की। ये टूर्नामेंट थे 2014 टी-20 विश्व कप, 2015 वनडे विश्व कप और 2016 टी-20 विश्व कप, लेकिन इन तीनों में ही भारत खिताब नहीं जीत पाया। इस तरह धौनी अपनी कप्तानी के आखिरी तीन आइसीसी टूर्नामेंट में से एक भी भारत को नहीं जिता सके। इसके बाद भारत अब तक आइसीसी के तीन और टूर्नामेंट खेल चुका है। इन तीनों में कोहली भारतीय टीम के कप्तान थे।
इनमें कोहली को सबसे पहले 2017 चैंपियंस ट्राफी में किसी आइसीसी टूर्नामेंट में कप्तानी करने का मौका मिला। इंग्लैंड में हुए इस टूर्नामेंट में टीम इंडिया फाइनल तक पहुंची, लेकिन चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को खिताब जीतने से नहीं रोक सकी। कोहली के जीवन में आइसीसी टूर्नामेंट में कप्तानी करने का दूसरी बार मौका 2019 वनडे विश्व कप में आया। हालांकि, इस बार टीम इंडिया का सफर सेमीफाइनल में ही थम गया, जहां केन विलियमसन की कप्तानी में न्यूजीलैंड ने 18 रन से जीत दर्ज की। इसके बाद अब कोहली शुक्रवार को डब्ल्यूटीसी फाइनल के रूप में एक बार फिर आइसीसी खिताब जीतने से चूक गए। इस बार भी विलियमसन की कीवी टीम ने आठ विकेट से बाजी मारते हुए कप्तान के रूप में कोहली के कद को बौना साबित कर दिया।
डब्ल्यूटीसी फाइनल में हार के बाद अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या कोहली को तीनों प्रारूपों में कप्तान बनाए रखा जाना चाहिए या उनसे किसी एक या दो प्रारूप की कप्तानी छीन लेनी चाहिए। असल में कोहली के पूरी तरह से कप्तानी संभालने के बाद कुछ मौके ऐसे भी आए जब उनकी गैर मौजूदगी में रोहित शर्मा और अजिंक्य रहाणे ने भारतीय टीम की ना सिर्फ कप्तानी की, बल्कि जीत भी दर्ज की। हालांकि, रोहित ने सिर्फ सीमित ओवर प्रारूपों में कप्तानी की, जबकि रहाणे ने तीनों प्रारूपों में टीम की अगुआई की। हालांकि, रोहित व रहाणे को कप्तानी के कम मौके मिले, लेकिन उनकी कप्तानी में टीम की जीत का प्रतिशत बेहद शानदार है।