स्ट्रेंथ लिफ्टिग की वर्ल्ड चैंपियनशिप की गोल्ड मेडलिस्ट बेटी सुनीता की मदद को एक नहीं बल्कि अनेक हाथ आगे आने लगे है। जिससे सुनीता का अब यूरोपियन वर्ल्ड चैंपियनशिप में खेलने का सपना पूरा होता नजर आ रहा है। रोहतक के सीसर गांव की बेटी सुनीता ने पिछले साल बैंकाक में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था। दरअसल, सुनीता के परिवार की आर्थिक हालत बहुत कमजोर है। पिछले साल सुनीता के परिवार ने कर्ज लेकर बेटी को बैंकाक में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में भाग लेने भेजा था। जहां बेटी ने अपनी प्रतिभा दिखाई और गोल्ड मेडल जीतकर देश का गौरव बढ़ाया था। लेकिन यह कर्ज उतारने के लिए माता-पिता के साथ ही सुनीता को भी मजदूरी करनी पड़ रही है। साथ ही वह इस साल होने वाली यूरोपियन वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए तैयारी भी कर रही है। लेकिन इस साल सुनीता के सामने फिर से वहीं आर्थिक संकट खड़ा हो गया। एक चैंपियन के सामने आए इस आर्थिक संकट संबंधित समाचार को दैनिक जागरण ने आठ जून के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित किया। जिसके बाद अन्य प्रिट व इलेक्ट्रोनिक मीडिया में भी उनकी यह समस्या उठाई आई। बेटी की मदद करने को अनेक हाथ आगे आने लगे हैं। सुनीता ने बताया कि समाज सेवी लोग अपनी सामर्थ्य अनुसार उनकी मदद करने लगे हैं। जिससे उनका यूरोपियन वर्ल्ड चैंपियनशिप में खेलने को लेकर संशय दूर होता नजर आ रहा है। सभी मददगारों की सराहना करते हुए उन्होंने इस साल होने वाली यूरोपियन वर्ल्ड चैंपियनशिप भी अच्छा प्रदर्शन करने का आश्वासन दिया है। हालांकि बेटी की आर्थिक मदद के लिए
अभी तक न तो सरकार की ओर से मदद की गई है और न कोई मंत्री या विधायक मदद को आगे आएं हैं।
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तीन साल में जीते हैं अनेक मेडल :
सुनीता ने महज तीन साल में ही 20 से अधिक मेडल जीत कर देश व प्रदेश का गौरव बढ़ाया है। सुनीता ने तीन साल पहले सहेली को खेलते देख स्ट्रेंथ लिफ्टिग खेलना शुरू किया था। उन्होंने प्रदेश स्तर से लेकर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीते हैं। लेकिन विडंबना यह है कि यह होनहार खिलाड़ी आर्थिक संकट से जूझ रही है और माता-पता के साथ मजदूरी करने पर मजबूर है। खुद महम कालेज में बीए द्वितीय वर्ष की पढ़ाई भी कर रही है। घर का खर्च चलाने के लिए माता-पिता के साथ मजदूरी भी कर रही है। उनका मकान भी जर्जर हालत में है। लेकिन स्ट्रेंथ लिफ्टिग में 58 किलो वर्ग में देश गौरव बढ़ाने की जिद भी है।
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कजाकिस्तान में होगी चैंपियनशिप :
इसी साल कजाकिस्तान में होने वाली विश्वस्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेकर देश का गौरव बढ़ाने का सपना है। एक से पांच अक्टूबर तक होने वाली विश्वस्तरीय चैंपियनशिप के लिए लाकडाउन में घर पर रहकर ही वे तैयारी कर रही हैं। चैंपियनशिप के लिए जुलाई में रजिस्ट्रेशन करवाया जाएगा। उसके लिए लगभग डेढ़ लाख का खर्च होगा। लेकिन इस बार अभिभावकों ने भी कर्ज उठाने से मना कर दिया तो इस साल खेलने पर ही संशय हुआ और मायूसी भी हुई। लेकिन अब मदद मिलने लगी तो कुछ राहत मिलने लगी है।
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अब जीत चुकी हैं ये मेडल :
– जून 2018 में 52 किलाग्राम भार में राज्य स्तर पर बहादुरगढ़ में गोल्ड मेडल।
– जून 2019 में सोनीपत में राज्य स्तरीय चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल।
– अक्टूबर 2019 में लोहारू में राज्यस्तरीय चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल।
– अक्टूबर 2019 में हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में हुई नार्थ इंडिया चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल।
– फरवरी 2019 में छत्तीसगढ़ में हुई राष्टीय स्तर की चैंपियनशिप में भी गोल्ड मेडल।
– फरवरी 2020 में थाइलैंड के बैंकाक में हुई विश्वस्तरीय प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल।
– फरवरी 2021 में लोहारू में हुई स्टेट चैंपियनशिप में 58 केजी में गोल्ड मेडल ।