हम में से कई लोगों के लिए महामारी एक ‘अकेलापन’ (Solitude) लेकर आई. वहीं कुछ लोग इस दौरान एक ‘खास अकेलेपन’ की तलाश के लिए खास जगहों पर गए. ऐसे लोगों के लिए आर्कटिक सर्कल से बेहतर जगह कौन सी होगी? बल्कि वेलेंटीना मिओजो (Valentina Miozzo) इससे भी एक कदम आगे निकल गई और वो महामारी के दौरान नार्वे से सुदूर उत्तर में आर्कटिक सर्कल (Arctic Circle) के भीतर चली गई.
एमिलिया रोमाग्ना के उत्तरी इतालवी क्षेत्र की मिओजो ने अपने जीवन को महामारी के दौरान बदलते देखा. घूमने की शौकीन वेलेंटीना ने कहा कि जब तक महामारी नहीं आई थी उनकी जिंदगी ‘सड़कों’ पर ही बीत रही थी. उन्होंने कहा कि मैं साल में करीब छह महीने घर से दूर ही रहती थी. पिछले साल इटली में कठोर लॉकडाउन की घोषणा की गई और 2020 की गर्मियों में वायरस के काफी हद तक काबू में आने के बाद मिओजो के पैरों में ‘खुजली’ होने लगी.
उन्हें घूमने के लिए कहीं निकलना था और फिर उन्हें सितंबर में आर्कटिक सर्कल में एक गेस्ट हाउस चलाने का ऑफर मिला तो वो खुशी से झूम उठीं. उनके लिए यह एक खास मौका था एक नई जगह जाने का. उन्होंने कहा कि ये ट्रैवल करने और एक पूरी तरह से अलग जिंदगी जीने का एक मौका था, वो भी दुनिया के एक ऐसे हिस्से में जो बेहद आकर्षक था और जिसके बारे में वो नहीं जानती थी.
दो दिनों के भीतर उन्होंने इस ऑफर को स्वीकार कर लिया. एक महीने बाद वो कोंग्सफजॉर्ड पहुंची. ये मिओजो के लिए बिल्कुल नया अनुभव था क्योंकि कोंग्सफजॉर्ड में सिर्फ 28 निवासी रहते हैं और यहां इटली की तरह ऊंची-ऊंची इमारतें नहीं हैं. उन्होंने कहा कि सबसे पास सुपरमार्केट 25 मील दूर है. सबसे पास अस्पताल 200 मील दूर है और एक छोटा सा स्थानीय एयरपोर्ट 25 मील की दूरी पर है.
अपना अनुभव साझा करते हुए मिओजो बताती हैं कि सर्दियों में सिर्फ 75 मील प्रति घंटे की रफ्तार से हवा और चारों ओर बर्फ होती है इसलिए कहीं भी जाना मुश्किल होता है. जब तक सड़कें साफ रहती हैं स्थानीय लोग हफ्ते में सिर्फ दो दिन जरूरत का सामान लेने के लिए बाहर निकलते हैं.
मिओजो कहती हैं इस जगह के बारे में मेरी कोई राय नहीं थी और न ही कोई धारणा मैंने बनाई क्योंकि वो सिर्फ उत्सुक थीं. हालांकि उन्हें पता था कि वो एक बेहद चरम परिस्थितियों वाली जगह पर जा रही हैं, जहां उन्हें पूरी तरह से अकेलेपन का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि मुझे पता था कि यह आर्कटिक टुंड्रा में था लेकिन मैं कभी नॉर्वे नहीं गई थी.
मिओजो ने बताया कि उनके जाने के कुछ समय बाद ही ध्रुवीय रातें आ गईं. हालांकि चौबीसों घंटे अंधेरे से वो हैरान नहीं थीं. उन्होंने कहा कि यह एक अविश्वसनीय अनुभव था, दो महीने पूरी तरह से अंधेरे में रहना. हालांकि यह परेशान करने वाला नहीं था बल्कि रोशनी में रहना इससे ज्यादा मुश्किल है.
मिओजो ने कहा कि मध्य मई से मध्य जुलाई तक 24 घंटे दिन सातों दिन कोंग्सफजॉर्ड आधी रात के सूरज से नहाया रहा. दो महीने के लिए कोई सूर्यास्त नहीं हुआ और शरीर यह स्वीकार नहीं करता था कि यह रात का समय है इसलिए सोना बहुत मुश्किल था. उन्होंने कहा कि लेकिन यह असुविधाजनक नहीं था बल्कि यह जीवन का एक सुंदर रूप है. वो कहती हैं कि इस मौसम ने उन्हें बहुत कुछ सिखाया है.