मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला मंत्रिपरिषद विस्तार इस महीने हो सकता है। मंत्रिपरिषद में फेरबदल और बदलाव के लिए 23 मंत्रालयों का चयन किया गया है। असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, ज्योतिरादित्य सिंधिया और मुकुल रॉय को विस्तार पर चर्चा के लिए जल्द बुलाया जा सकता है। एनडीए में शामिल सहयोगी दलों से विचार विमर्श शुरू कर दिया गया है।
कई मंत्रियों के निधन और अन्य कारणों से सरकार में दर्जन भर मंत्रियों के पास एक से अधिक मंत्रालयों का जिम्मा है। विस्तार के जरिए ऐसे मंत्रियों का बोझ कम किया जाएगा। विस्तार पर चुनिंदा नेताओं के साथ इस महीने की शुरुआत में ही चर्चा की जानी थी। सोनोवाल को दिल्ली बुलाया गया था। जबकि विमर्श के लिए ही सिंधिया विदेश यात्रा से पहले हफ्ते ही वापस लौट आए थे। इस बीच उत्तर प्रदेश के घटनाक्रम के कारण विमर्श में देरी हुई। अब कहा जा रहा है कि जल्द ही इन नेताओं के साथ विमर्श का सिलसिला शुरू किया जाएगा। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मोदी मंत्रिपरिषद में शामिल होने पर अपनी सहमति दे दी है। हालांकि जदयू को कैबिनेट में किस तरह का प्रतिनिधित्व मिलेगा, इस पर चर्चा होनी बाकी है।
सूत्रों का कहना है कि जदयू को कैबिनेट और राज्यमंत्री का एक-एक पद दिया जाएगा। अपना दल को मंत्रिपरिषद विस्तार में जगह मिल सकती है। अपना दल की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने बृहस्पतिवार को गृहमंत्री से मुलाकात भी की। वर्तमान में कई मंत्रियों पर काम का बोझ बहुत ज्यादा है। ऐसा दो मंत्रियों शिवसेना के अरविंद सावंत, अकाली दल की हरसिमरत कौर के इस्तीफे और दो मंत्रियों की मौत के कारण हुआ है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के पास पर्यावरण के साथ भारी उद्योग मंत्रालय का भी प्रभार है।
रेल मंत्री पीयूष गोयल के पास वाणिज्य, रेल मंत्रालय के अतिरिक्त उपभोक्ता मामलों का भी प्रभार है। इसी तरह पहले ही कृषि , पंचायती राज और ग्रामीण विकास का जिम्मा संभाल रहे नरेंद्र सिंह तोमर के पास खाद्य प्रसंस्करण का अतिरिक्त प्रभार है। जबकि आयुष मंत्री श्रीपद नाईक के सड़क दुर्घटना में घायल होने के बाद उनके मंत्रालय का जिम्मा खेल एवं युवा मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू संभाल रहे हैं।