पांच राज्यों के चुनाव में शिकस्त के बाद जितिन प्रसाद का पार्टी छोड़ना कांग्रेस के लिए बड़ा सियासी झटका है। इसमें दो राय नहीं कि पार्टी के सबसे संकटपूर्ण दौर में ही युवा पीढ़ी के उसके चेहरे तितर-बितर होने लगे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद जितिन कांग्रेस के बिखरते युवा नेतृत्व का आखिरी पन्ना नहीं हैं बल्कि इस सिलसिले के आगे भी जारी रहने की संभावनाएं हैं।
इसलिए छोड़कर जा रहे दिग्गज
राजस्थान में विद्रोह के मुहाने से लौटे सचिन पायलट, महाराष्ट्र में मिलिंद देवड़ा से लेकर हरियाणा में दीपेंद्र हुड्डा जैसे कांग्रेस के युवा चेहरे पार्टी की मौजूदा दशा-दिशा से परेशान होकर अपने राजनीतिक भविष्य की वैकल्पिक संभावनाओं पर गौर कर रहे हैं।
नहीं दिख रहा भविष्य
कांग्रेस से राजनीतिक पारी का आगाज कर अपनी पहचान बनाने वाले इन युवा चेहरों का पार्टी छोड़ने का सिलसिला स्पष्ट तौर पर इस बात का संकेत है कि चाहे ज्योतिरादित्य हों या जितिन, इन नेताओं को कांग्रेस में अपना राजनीतिक भविष्य नहीं दिखाई दे रहा। इस कारण वे भाजपा को अपना अगला पड़ाव बनाने में कोई संकोच नहीं कर रहे। इसके साथ ही बीते डेढ़ दशक से कांग्रेस के युवा चमकते चेहरों की टीम का बिखराव तेज हो गया है। सचिन पायलट की नाराजगी दूर करने के लिए एक साल पहले किए गए वादे पर अभी तक अमल नहीं हुआ है और स्वाभाविक रूप से राजस्थान में एक बार फिर वे अपने असंतोष को छिपा नहीं रहे हैं।