रायबरेली: बगैर अधिवक्ताओं को विश्वास में लिए एसडीएम द्वारा पुकार कराने पर नाराज हुए अधिवक्ता
महराजगंज/रायबरेली: कोविड-19 महामारी के दौरान कोर्ट में भीड़ जुटाकर मामले की सुनवाई करने के मामले को लेकर अधिवक्ताओं ने गहरा विरोध जताते हुए न्यायिक कार्यों का बहिष्कार किया। बाद में आक्रोशित वकीलों का एक प्रतिनिधिमंडल एसडीएम के चेंबर में पहुंचा, और उनसे न्यायिक मामलों के लिए कई मुद्दों पर बातचीत की और घोषणा की है कि, तहसील महराजगंज के सभी अधिवक्ता पहले की तरह जून माह में ग्रीष्मकालीन अवकाश मनाते हुए न्यायिक कार्य नहीं करेंगे। आपको बता दें कि, कोविड-19 आंशिक लॉकडाउन के चलते विगत 2 महीनों से न्यायालयों में कोई काम काज नहीं हो सका था, सिर्फ आज सोमवार को एसडीएम सविता यादव ने न्यायालय में मामलों की सुनवाई के लिए पुकार कराने का निर्देश दिया, तो वकील भड़क उठे। महराजगंज बार एसोसिएशन महराजगंज के पूर्व अध्यक्ष सुरेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि, अधिवक्ताओं ने एसडीएम से कहा है कि, कोरोना कम हुआ है, अभी पूरी तरह से गया नहीं है। ऐसे में अदालतों में भीड़ भाड़ इकट्ठा कर सुनवाई करना कोरोना का न्योता देना है। श्री श्रीवास्तव की बात का अन्य अधिवक्ताओं कृष्ण कुमार यादव अध्यक्ष, नागेंद्र सिंह उपाध्यक्ष, प्रदीप श्रीवास्तव, वरिष्ठ अधिवक्ता विद्यासागर अवस्थी, अतुल कुमार पांडेय आदि अधिवक्ताओं ने समर्थन करते हुए एसडीएम से वार्ता करने का निर्णय लिया। इसी क्रम में एसडीएम ने अपने चेंबर में अधिवक्ताओं को आमंत्रित किया। अधिवक्ताओं ने बातचीत में इस बात पर रोष जताया कि, एक तो कोविड-19 की समस्या है, दूसरे महराजगंज के सभी अधिवक्ता और संगठन दशकों से अन्य न्यायालयों की तर्ज पर जून माह में ग्रीष्मकालीन अवकाश मनाते हैं। इसलिए जून माह में वैसे भी काम नहीं किया जाएगा। इसके अतिरिक्त वरिष्ठ अधिवक्ता भूपेश मिश्रा ने नायब तहसीलदार और तहसीलदार न्यायालयों में हजारों की तादात में निर्विवादित फाइलें आदेश के लिए पड़ी हुई है, लेकिन उन दोनों ने न्यायालयों में पिछले 6 महीने से एक भी निर्विवादित पत्रावलियों तक का निस्तारण नहीं हुआ, जिससे वादकारियों के बीच अधिवक्ताओं की किरकिरी हो रही है। इस पर एसडीएम ने कहा कि, इस मामले को वह देखेंगी। बातचीत में एसडीएम द्वारा 151 के मुलजिम को देर रात तक रिहा करने का मामला उठाते हुए अधिवक्ताओं ने कहा कि, जल्दी चलानी आ जाए तो, मुलजिमों को तुरंत जमानत दी जाए। देर रात तक उन्हें बैठाकर ना रखा जाए। अंत में अधिवक्ताओं ने घोषणा की है कि, वह जून माह के अंत तक कार्य से विरत रहेंगे। तब जाकर मामला शांत हुआ।