रायबरेली: महामारी की विषम परिस्थतियों में असहायिक जूनियर हाईस्कूलों (अ श्रेणी मान्यता प्राप्त) के शिक्षक भुखमरी के कगार पर




बछरावां /रायबरेली:वर्तमान समय में महामारी की विषम परिस्थितियों में असहायिक जूनियर हाई स्कूलों (अ श्रेणी मान्यता प्राप्त) के शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारी भुखमरी के कगार पर है l इन विद्यालयों में कार्यरत वाले शिक्षक शिक्षणेत्तर कर्मचारी विधिसम्मति शासन द्वारा विधिवत रूप से एप्रूव्ड होकर प्रबंधक द्वारा नियुक्ति होते हैं। अनुदान मिलने पर वेतन की आशा में यह सरकार द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करके शिक्षण कार्य करते हैं। इसके साथ ही साथ शिक्षण शुल्क के रूप में शिक्षार्थियों से मिलने वाली अल्प धनराशि में अपना जीवन यापन भी एक तपस्वी की भांति करते हैं। फिर भी इन शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की कोई सुध लेने वाला नहीं है। वर्तमान समय में महामारी के मद्देनजर लगभग डेढ़ वर्ष से एक एक रुपए का मोहताज होकर भुखमरी के कगार पर आ खड़े हुए हैं।

इन विद्यालयों के शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारी प्रबंधक की उदासीनता का भी शिकार हैं। वहीं जब विद्यालय की आय ही नहीं है तो प्रबंधक भी मजबूर होकर अपने हाथ खड़े कर रहे हैं। अब इन विद्यालयों के शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मचारी क्या करें खुद इनकी समझ में नहीं आ रहा है। पूर्व की सरकारों द्वारा इन विद्यालयों को समय-समय पर अनुदानित किया जाता रहा है सर्वाधिक विद्यालय वर्ष 2006 में पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने पूर्व में एक शिक्षक होने के कारण शिक्षकों की दीन हीन दशा को समझा व शिक्षकों के हालात को ध्यान में रखते हुए 1000 विद्यालयों को अनुदान सूची पर लेकर समाज की मुख्यधारा से जोड़ने व शिक्षकों की दशा में सुधार करने का प्रयत्न किया था। वहीं इसके साथ ही साथ अनुदानित करने के बाद धनराशि शेष बचने पर 100 विद्यालयों का शासनादेश भी जारी किया था लेकिन सत्ता परिवर्तन होने पर बसपा सरकार ने राजनीतिक द्वेषवश 100 विद्यालयों को अनुदानित करने का शासनादेश निरस्त कर दिया था। उसके बाद अपने घोषणा पत्र में समाजवादी पार्टी की सरकार ने यह रखा की सरकार में आने पर इन विद्यालयों को अनुदान सूची पर लाया जाएगा l

Sun 2012 मैं समाजवादी पार्टी की सरकार बनी लेकिन मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री ना बनने के कारण सरकार इन विद्यालयों के प्रति उदासीन रही इनको अनुदानित करने की सहमति ना बन सकी। वहीं इसके बाद 2017 में भाजपा सरकार ने 13 जुलाई 2017 को एक ऐसी नीति का निर्धारण किया विद्यालयों को अनुदान सूची पर नहीं लिया जाएगा जिसको उच्च न्यायालय द्वारा खारिज भी कर दिया गया और उसके साथ ही साथ शिक्षक संगठनों द्वारा शिक्षक और छात्र हित में लगातार विद्यालय अनुदान करने की मांग की जा रही है। वही संवाददाता ने जब उत्तर प्रदेश सीनियर बेसिक शिक्षक महासभा उत्तर प्रदेश के मंडल अध्यक्ष अंकुर चौधरी से बात की तो उन्होंने बताया कि लगातार हम लोग सरकार से विद्यालयों को अनुदानित करने की गुहार लगा रहे हैं लेकिन हम लोगों की आवाज सुनी नहीं जा रही है वर्तमान समय में इन विद्यालयों के शिक्षकों की बहुत ही दयनीय स्थित है ना तो प्रबंधक और ना ही सरकार हम लोगों की सुन रही हैं। हम लोगों को विषम आर्थिक परिस्थितियों से सामना करना पड़ रहा है अब तो पारिवारिक भरण पोषण में भी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। एक तो महामारी वहीं दूसरी ओर आर्थिक समस्या इन दोहरी समस्या का सामना शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मचारी कर रहे हैं। इन समस्याओं से जूझ कर कुछ शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारी आत्महत्या भी कर चुके हैं। फिर भी इन शिक्षकों के प्रति सत्तासीन सरकारें उदासीन बनी हुई है। इन विद्यालयों में शिक्षण कार्य करने वाले शिक्षक अधिकतर सेवानिवृत्त हो गए हैं और कुछ सेवानिवृत्त की कगार पर हैं इनकी समस्याओं को देखते हुए सरकार से शिक्षक नेताओं ने अनुदान सूची पर लेने की गुहार लगाई जिससे इन विद्यालयों में अध्यापन कार्य करने वाले शिक्षकों कि जीवनशैली में सुधार लाया जा सके।