स्वेज नहर में एक बड़े मालवाहक जहाज के फंस जाने की वजह से लाल सागर और भूमध्य सागर के बीच मंगलवार से जहाजों की आवाजाही रुकी हुई है. अब तक, 200000 मीट्रिक टन वजन वाले, 400 मीटर लंबे और 59 मीटर चौड़े इस जहाज को निकालने की सारी कोशिशें नाकाम रही हैं. बता दें कि पनामा-रजिस्टर्ड यह जहाज चीन से नीदरलैंड के रोटरडम जा रहा था.इजिप्ट की स्वेज नहर दुनिया के सबसे ट्रैफिक वाले जलमार्गों में से एक है, जिसका इस्तेमाल मुख्य तौर पर मिडिल ईस्ट से यूरोप और नॉर्थ अमेरिका तक कच्चा तेल ले जाने वाले टैंकर करते हैं, साथ ही इसकी उलटी दिशा में भी इस रूट का बड़ा इस्तेमाल होता है. अल जजीरा के मुताबिक, इस नहर के जरिए करीब 10 फीसदी अंतरराष्ट्रीय समुद्री व्यापार होता है. स्वेज नहर से हर रोज औसतन 50 जहाज गुजरते हैं.
ब्लूमबर्ग के मुताबिक, बुधवार को 185 वैसल्स, जिसमें ज्यादातर बल्क कैरियर्स, कंटेनर शिप्स, तेल या कैमिकल टैंकर, नहर को पार करने के लिए इंतजार कर रहे थे.
मंगलवार को जहाज फंसने की घटना तब हुई जब तेज हवाओं की वजह से 120 मील लंबी नहर के किनारे पर भारी मात्रा में रेत आ गया. उत्तर में भूमध्य सागर को दक्षिण में लाल सागर से जोड़ने वाली इस नहर का रास्ता संकरा है – कुछ जगहों पर 675 फीट (205 मीटर) से भी कम चौड़ा – और जब कम विजिबिलिटी होती है, तो नेविगेट करने में मुश्किल बढ़ जाती है.ऐसे में जब करीब 46 मील प्रति घंटे की रफ्तार से धूल उड़ी, तो चालक दल ने जहाज का नियंत्रण खो दिया.
विशेषज्ञों का कहना है कि जहाज को निकालने और स्वेज नहर के रूट को पूरी तरह बहाल करने में अभी कई दिनों का वक्त लग सकता है. चूंकि अफ्रीका के आसपास यूरोप और एशिया के बीच वैकल्पिक मार्ग स्वेज मार्ग की तुलना में करीब एक हफ्ता धीमा है, इसलिए यह रुकावट तेल की कीमतों पर असर के साथ-साथ बाकी ग्लोबल ट्रेड पर भी गंभीर असर डाल सकती है.