हमारी ज़िदंगी वक्त के साथ आगे बढ़ती जाती हैं जिसमें कुछ लोग ऐसे होते हैं जो ताउम्र हमारे साथ रहते हैं तो कुछ वक्त के साथ हमारा साथ छोड़ देते हैं तो वहीं वक्त ही कुछ नए लोगों को, कुछ नए रिश्तों को हमारी झोली में डाल देता है।
कहा जाता है कि हम ज़िदंगी में किसी से भी यूं ही नहीं मिलते बल्कि इसके पीछे कुछ वजहें होती हैं। अगर हमारी ज़िदंगी में गलत लोग आते हैं तो वो हमे सबक देकर जाते हैं तो वहीं अच्छे लोग हमारी ज़िदंगी में खास जगह बना लेते हैं।
गलत लोगों पर भरोसा
हर बीतते दिन के साथ हमारी ज़िदंगी में नईं यादें जुड़ती हैं जो किसी इंसान, किसी पल या फिर किसी छोटी सी बात से भी जुड़ी हुई हो सकती हैं।
जब हम किसी इंसान से मिलते हैं, चाहे वो किसी भी रिश्ते से हमसे जुड़ा हो, हम धीरे-धीरे उसे जानते हैं, समझते हैं और फिर उस पर भरोसा करने लगते हैं। अगर वो हमारे भरोसे पर खरे उतरते हैं तो ना केवल हमारी मुस्कुराहट बड़ी हो जाती है बल्कि हमें अपने भरोसे पर भी भरोसा होने लगता है।
आपकी ज़िदंगी में भी कईं लोग ऐसे आए होंगे जिनसे आप जज्बात का भरोसेमंद रिश्ता निभा रहे होंगे लेकिन जब हमारी लाइफ में ऐसे लोग आते हैं जो ना केवल हमारे भरोसे को चोट पहुंचाते हैं बल्कि हमें अंदर से हिला कर रख देते हैं तो ये बहुत तकलीफ देता है।
अगर कोई एक शख्स ऐसा निकले तो हम फिर भी उस बात को भूलने और ज़िदंगी में आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं लेकिन अगर बार-बार ऐसा होता है तो हमारा लोगों पर से नहीं, बल्कि अपने भरोसे पर से भरोसा उठ जाता है।
सबसे पहले तो आपको ये समझना होगा कि अगर आप अच्छे हैं और आपकी ये अच्छाई आपको दूसरों पर भरोसा करने दे रही है तो ये ग़लत नहीं है। खुद को बदलने या दूसरों जैसा बनाने की कोशिश बिल्कुल ना करें। पर ये ज़रूर है कि किसी पर भरोसा करने से पहले थोड़ा सोचें, पर भरोसा करना ना छोड़े।
ये ज़िदंगी भरोसे पर ही चल रही है, अगर हम दूसरों पर भरोसा करना ही छोड़ देंगे तो शायद ज़िदंगी बिताना बहुत मुश्किल हो जाएगा।
खुद को दोषी ना ठहराएं, भरोसा टूटने की स्थिति में अक्सर लोग खुद को ही दोष देते हैं और खुद से ही सवाल करते हैं कि उन्होने किसी गलत इंसान पर भरोसा ही क्यो किया, पर ऐसा ना करें।
हम ‘भरोसे’ पर भरोसा तब ही करना शुरू करते हैं जब हम किसी और के भरोसे पर खरे उतरते हैं लेकिन ये ज़रूरी नहीं है कि अगर हमने किसी का भरोसा नहीं तोड़ा है तो कोई हमारा भरोसा भी नहीं तोड़ेगा।
अपने अंदर की अच्छाई को ना बदलें और ना ही उस इंसान के बारे में ज्यादा सोचकर खुद को तकलीफ दें, तनाव कईं बीमारियों को जन्म देता है इसलिए किसी और की वजह से खुद को कमज़ोर ना बनाए।
एक और बात जो यहां समझने की ज़रूरत है वो ये है कि जब हम गलत लोगों पर भरोसा कर ठोकर खाते हैं तभी हमें अच्छे इंसान को परखने की समझ आती है, ये समझ किसी किताब या किसी के समझाने से नहीं मिलती बल्कि इसके लिए ठोकर खाना बहुत ज़रूरी है।