सरकार ने बुधवार को लोकसभा को बताया कि मतदाता सूची को आधार से जोड़ने का चुनाव आयोग का प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन है। संसद के निचले सदन में एक लिखित जवाब में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि चुनाव आयोग ने मतदाता सूची को आधार प्रणाली के साथ लिंक करने का प्रस्ताव दिया है ताकि मतदाताओं का नाम एक साथ ही कई स्थानों पर मतदाता सूची में होने की समस्या पर अंकुश लगाया जा सके। इसके लिए चुनाव संबंधी कानूनों में संशोधन की जरूरत पड़ेगी। उन्होंने कहा, ‘यह मामला सरकार के विचाराधीन है।’
कानून मंत्री ने कहा कि चुनाव आयोग ने मतदाता सूची के डाटा प्लेटफार्म की सुरक्षा और संरक्षा के लिए कई उपाय किए हैं। उन्होंने कहा कि आधार नंबर का इस्तेमाल सिर्फ मतदाताओं के सत्यापन के लिए और दोनों सिस्टम के बीच के अंतर को दूर करने के लिए किया जाएगा। इससे मतदाता प्रणाली में किसी भी तरह की सेंध लगाने की कोशिशों को भी रोका जा सकेगा।
चुनाव आयोग जनप्रतिनिधित्व कानून में संशोधन के लिए सरकार पर दबाव बना रहा है। इसके लिए आयोग ने अगस्त, 2019 में सरकार के पास प्रस्ताव भेजा था। इसमें कहा गया है कि चुनाव संबंधी कानून में बदलाव किया जाना चाहिए, जिससे कि मतदाता सूची में नाम दर्ज करने वाले अधिकारी को मौजूदा और नए मतदाताओं से उनका आधार नंबर मांगने का अधिकार मिल सके।
चुनाव आयोग ने मतदाता सूची से आधार को लिंक करने का अभियान शुरू किया था, लेकिन अगस्त, 2015 में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले से इस पर रोक लग गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था
आधार नंबर एकत्र करने के लिए कानून की मंजूरी जरूरी है।
केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यह भी बताया कि सूचना प्रौद्योगिकी (आइटी) मंत्रालय के पास फिलहाल इंटरनेट मीडिया के लिए कोई रेगुलेटर बनाने का प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स, 2021 जारी किए हैं। इसके तहत इंटरनेट मीडिया इंटरमीडियरी समेत अन्य सभी इंटरमीडियरी कंपनियों को कुछ नियमों का अनुपालन करना होगा।