जालौन: नगर की सीमा से लगभग दो किलोमीटर दूर पश्चिम में यमुना नदी के किनारे स्थित हजारों वर्ष पुराना प्राचीन माँ काली रायड़ वाली के मन्दिर में ग्राम वासियों के सहयोग से विगत 19 फरवरी से प्रारम्भ हुई श्रीमद्भागवत कथा पुराण के समापन पूर्णाहुति के पश्चात भीड़ द्वारा विशाल भण्डारे में वितरित स्वादिष्ट प्रसाद को ग्रहण किया गया |
प्राप्त जानकारी के अनुसार भागवताचार्या सुश्री स्वयं ज्योति जी के मुख से उच्चारित कथा पारीक्षित राजाराम निषाद व उनकी धर्मपत्नी श्रीमती चन्द्रकली के माध्यम से उपस्थित भागवत प्रेमी भक्तों को श्रवण करायी गयी | कथा समापन अवसर पर कथा व्यास स्वयं ज्योति ने भक्तों को सम्बोधित करते हुए कहा, बिन सत्संग विवेक न होई, राम कृपा बिन सुलभ न सोई | बिना सत्संग के विवेक जागृत नहीं होता है और जब तक विवेक जागृत नहीं होता है, तब तक प्रभू की कृपा सम्भव नहीं है | बिना राम की कृपा से सत्संग भी सुलभ नहीं हो सकता है | उन्होंने कहा हे, भक्तों संतों का एक जगह एकत्रित होना तथा उसी स्थान पर दर्शन तथा हरि कथा का रसपान करने का अवसर प्राप्त होना दुर्लभ संयोग कहा गया है | संत समागम हरि कथा – तुलसी दुर्लभ दोये, सुत दारा और लक्ष्मी पापी के घर होय ! अर्थात पापी के घर में ज्ञानी भगवान का परम् भक्त तथा भरपूर लक्ष्मी होने के समान माना जाता है | उन्होंने ने संतों का समागम, तथा भगवान की कथा से वह स्थान पवित्र हो कर उत्तरोत्तर विकास करने लगता है | वातावरण में भक्ति का प्रवाह होने लगता है | माँ काली का यह अद्भुत स्थान अनन्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला पावन स्थान है | सिध्दीदात्री माँ काली रायड़ वाली के दर्शन मात्र से मनोकांमनायें पूर्ण हो जाती हैं | गाँव में माँ की कथा श्रवण करने, दर्शन तथा भण्डारा प्रसाद ग्रहण करने के लिए पधारे भक्तों की सेवा के लिए तत्यपर्य ग्राम के निवासी माताओं, बहनों, युवाओं, बुजुर्गों, बच्चों ने पूरी भक्ति भाव के साथ आये हुये भक्तों को प्रसाद वितरण किया गया | जिसमें प्रमुख रूप से गिरवर निषाद, कुंवर बहादुर निषाद झल्लू निषाद, लाखन निषाद,भारत सिंह निषाद, शिव सिंह बाबा,परसुराम निषाद ,महानतम बाबू निषाद,रमेश निषाद, बच्चू निषाद, मोहन सिंह निषाद, दयाशंकर निषाद बाबा जी, बाबू राम निषाद, रंगी लाल निषाद, दयाशंकर निषाद पहिलवान समस्त ग्रामवासियों द्वारा अनन्त परिश्रम किया गया |
रिपोर्ट-नाहिद अंजुम तहसील संवाददाता कालपी(जालौन)