रीवा जिले की देवतालाब विधानसभा से भाजपा विधायक गिरीश गौतम सोमवार को मध्य प्रदेश विधानसभा के निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित अन्य ने गिरीश गौतम को अध्यक्ष चुनने का प्रस्ताव रखा। नेता प्रतिपक्ष कमल नाथ ने इन प्रस्तावों का समर्थन किया। इस अवसर पर गौतम ने आश्वस्त किया कि वे परंपराओं को खरोंच नहीं आने देंगे।
अध्यक्ष का चुनाव होने के बाद विधानसभा का बजट सत्र राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के अभिभाषण से औपचारिक रूप से शुरू हुआ। उन्होंने कहा कि कार्यभार संभालते समय सरकार के सामने दो चुनौतियां थीं। पहली कोरोना महामारी, जो तेजी से पैर पसार रही थी और दूसरी सरकार की वित्तीय स्थिति। प्रदेश में चारों ओर अविश्वास, असमंजस, आशंका और अव्यवस्था का वातावरण था। सरकार ने युद्घ स्तर पर दोनों मोर्चो पर काम शुरू किया और उसके सुखद परिणाम सामने आए।
मध्य प्रदेश विधानसभा में सोमवार से बजट सत्र शुरू हो गया है। सामयिक अध्यक्ष रामेश्वर शर्मा ने कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए सावधानी बरतने की जरूरत बताई। उन्होंने संक्रमण से बचाव के लिए विधायकों के लिए की गई व्यवस्थाओं की जानकारी दी। साथ ही आग्रह किया कि सभी सदस्य दिशानिर्देशों का पालन करें। सदन के नेता मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वरिष्ठ विधायक गिरीश गौतम को विधानसभा का अध्यक्ष निर्वाचित किए जाने का प्रस्ताव रखा। संसदीय कार्य मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने उसका समर्थन किया।
गिरीश गौतम को अध्यक्ष बनाने के लिए कुल 11 प्रस्ताव प्रस्तुत किए गए। नेता प्रतिपक्ष कमल नाथ ने निर्विरोध निर्वाचन का प्रस्ताव रखा, डॉक्टर गोविंद सिंह ने उनका समर्थन किया, प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हुआ। विधानसभा के सामयिक अध्यक्ष रामेश्वर शर्मा ने गिरीश गौतम के निर्विरोध निर्वाचन की घोषणा की। सदन के नेता मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और नेता प्रतिपक्ष कमल नाथ उन्हें आसंदी अभिवादन किया। इसके बाद राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का अभिभाषण हुआ और सदन की कार्यवाही मंगलवार तक के लिए स्थतिग कर दी गई।
अध्यक्ष का पद 17 साल बाद विंध्य के हिस्से में आया है। इसके पहले श्रीनिवास तिवारी 24 दिसंबर 1993 से 11 दिसंबर 2003 तक विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक सरकार पर विंध्य को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने को लेकर काफी समय से दबाव बनाया जा रहा था। मंत्रिमंडल विस्तार में मौका नहीं मिलने से नाराजगी भी बढ़ रही थी। इसे थामने और क्षेत्रीय समीकरणों को देखते हुए गिरीश गौतम का नाम तय किया गया। हालांकि, यह आसान नहीं था क्योंकि पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ल और वरिष्ठ विधायक केदारनाथ शुक्ला भी प्रबल दावेदार थे। बताया जा रहा है कि विंध्य और महाकोशल से अभी कुछ विधायकों को निकाय चुनाव के बाद समायोजित किया जाएगा।