देश में वाहनों में डाले जाने वाले ईंधन को साल 2025 तक ई-20 (E20) मोड पर ले जाने की तैयारी है. केंद्र सरकार इस योजना पर तेजी से काम कर रही है. पिछले साल सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने एक ड्राफ्ट नोटिफिकेशन प्रकाशित कर ई20 ईंधन (E20 Fuel) अपनाए जाने पर और इससे होने वाले उत्सर्जन मानकों पर जन प्रतिक्रिया आमंत्रित की थी. सरकार परिवहन ईंधन के लिए बड़े पैमाने पर उत्सर्जन मानकों को अपना रही है. यह ईंधन गैसोलीन है जिसमें 20 फीसदी इथेनॉल (Ethanol) मिलाया जाता है. क्या होता है ई-फ्यूलल और कार में कैसे होगा इस्तेमाल. आइए जानते हैं इसके बारे में…
E20 फ्यूल गैसोलीन (पेट्रोल) के साथ 20 फीसदी इथेनॉल (Ethanol) का मिश्रण है. इसका इस्तेमाल वर्तमान में उपलब्ध ईंधन के विकल्प के रूप में किया जा सकता है. सम्मिश्रण का वर्तमान अनुमन्य स्तर इथेनॉल का 10 फीसदी है.
E20 fuel क्या है?
भारत 2019 में सम्मिश्रण का केवल 5.6 प्रतिशत तक ही पहुंचा था. यह फ्यूल कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन इत्यादि के उत्सर्जन को कम करने में मदद करेगा. साथ ही यह आयात किए जाने वाले तेल को भी कम करने में मदद करेगा, जिसकी वजह से विदेशी मुद्रा की बचत होगी. ईथेनॉल एक प्रकार का फ्यूल है. इससे गाड़ियां भी चलाई जा सकती हैं. ईथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है जिसे पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है.
ईथेनॉल मकई, गन्ना, जूट, आलू जैसे कृषि उत्पादों के जैवभार से निर्मित एक जैव ईंधन है. ईथेनॉल मिलाने पर पेट्रोल में आक्टेन वैल्यू 2.5 प्रतिशत तथा ऑक्सीजन की क्षमता 3 प्रतिशत बढ़ जाती है. इससे पेट्रोल इंजन में 100 प्रतिशत जलता है तथा निकलने वाला धुआं भी कम प्रदूषण करता है.
जैव ईंधन किसे कहते हैं
जैव ईंधन (Biofuel) को हरा ईंधन (Green fuel) भी कहा जाता है. यह पौधों और जानवरों की सामग्री से डिसटिल होता है. माना जाता है कि व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले जीवाश्म ईंधन की तुलना में अधिक पर्यावरण के अनुकूल है जो कि दुनिया में सबसे अधिक पॉवर देते हैं. जैव ईंधन, जो बायोमास से प्राप्त होता है उसे पर्यावरण के अनुकूल विकल्प के रूप में माना जाता है.
परिवहन मंत्रालय एक अधिकारी ने बताया कि हम साल 2025 तक ई-20 कंप्लायंट व्हीकल के आइडिया पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं. इस मामले से जुड़े एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि इस प्रस्ताव पर अभी विचार किया जा रहा है. अधिकारी ने कह कि वास्तव में इस प्रस्ताव पर काम आगे बढ़ाना ईथेनॉल की उपलब्धता पर निर्भर है. इसके साथ ही इसमें पेट्रोलियम मंत्रालय की बड़ी भूमिका है.
हाइड्रोजन आधारित ऊर्जा पर भी काम शुरू
केंद्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कुछ समय पहले विद्युत वाहनों के क्षेत्र में स्वदेशी फ्यूल सेल विकसित करने के लिए एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया. उन्होंने वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और उद्योग से हाइड्रोजन आधारित ऊर्जा का लाभ उठाने का अनुरोध किया, क्योंकि यह ऊर्जा सस्ती और देश में आसानी से उपलब्ध है. उन्होंने भारत में सौर ऊर्जा की कम लागत की ओर इशारा किया कि यह ऊर्जा ईंधनों के अन्य तरीकों को ऊर्जा प्रदान करने में मदद कर सकती है.
उन्होंने कहा कि भारत की खनन इकाइयां वैश्विक रूप से घटक परिसंपत्तियों का अधिग्रहण कर सकती हैं और मौजूद अवसर हासिल कर सकती हैं, क्योंकि इस क्षेत्र में अभी भी 49 प्रतिशत संभावनाएं मौजूद हैं. गडकरी ने कहा कि नई पीढ़ी की बैटरियां न केवल देश में वाहन प्रदूषण को कम करेंगी, बल्कि भारत को विद्युत वाहनों का एक वैश्विक आपूर्तिकर्ता भी बनाएंगी
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आदर्श कुमार
संस्थापक और एडिटर-इन-चीफ