डायबिटीज भी नहीं रोक सकी ट्रेनिंग, पत्नी की मौत का सदमा झेला, फिर बीजिंग में गोल्‍ड जीत खूबसूरत सपने को पूरा किया

साल 2008 के ओलिंपिक खेल. बीजिंग में वेटलिफ्टिंग के 105+ किलो ग्राम वर्ग की प्रेजेंटेशन सेरेमनी चल रही थी. पहले स्थान पर खड़े थे जर्मनी के मैथियास स्टेनर (Matthias Steiner). उनकी आंखों में आंसू थे, एक हाथ में गोल्ड मेडल था और दूसरे हाथ में एक औरत की तस्वीर. कमेंट्री करते हुए शख्स ने कहा, ‘मैथियास ने कर दिखाया, ऑस्ट्रिया के लिए नहीं, जर्मनी के नहीं, सुजैन के लिए…अपनी पत्नी के लिए.’ मैथियास के आंसू नहीं रुक रहे थे वह उस गोल्ड मेडल को निहार रहे थे, अपनी पत्नी को तस्वीर को चूम रहे थे…’ स्टेडियम में बैठे हर फैन की आंखो में आसूं थे ..

ओलिंपिक खेलों में वेटलिफ्टिंग के 105+ किलो ग्राम वर्ग के इवेंट को सबसे मुश्किल माना जाता है, और इसके विजेता को दुनिया का सबसे ताकतवर शख्स. मैथियास ने साल 2008 में इस खिताब को अपने नाम किया लेकिन इस राह में उन्होंने कई मुश्किलों का सामना किया और कई ऐसे दर्द झेले जो उनकी हिम्मत तोड़ने के लिए काफी थे. पर मैथियास के नसीब में चैंपियन बनना लिखा था, सुपर हेवीवेट चैंपियन और उन्होंने वह कर दिखाया.