किसान आंदोलन पर गरमाई सियाशत , सोनिया ने बनाई सरकार को घेरने की रणनीति

नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों के आंदोलन के बीच सियासी सरगर्मी भी तेज हो गई है। बजट सत्र नजदीक आता देख कांग्रेस इस मौके को भुनाने में जुट गई है। नए कृषि कानूनों के खिलाफ 15 जनवरी को प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संयुक्त रणनीति बनाने के लिए विभिन्न विपक्षी नेताओं से बात की है। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने समान विचारों वाली पार्टियों से किसान आंदोलन के मसले पर समर्थन मांगा है। सूत्रों ने बताया कि उन्होंने राकांपा अध्यक्ष शरद पवार तथा माकपा महासचिव सीताराम येचुरी से बात की है। वह और भी नेताओं से चर्चा करेंगी।

कांग्रेस अध्यक्ष की विपक्षी नेताओं के साथ इस चर्चा को संसद के आगामी बजट सत्र को लेकर संयुक्त रणनीति बनाने के मद्देनजर भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा है कि कांग्रेस एक पुस्तिका तैयार कर रही है, जिसके जरिये लोगों को बताया जाएगा कि वह कृषि कानूनों का विरोध क्यों कर रही है। कांग्रेस ने शनिवार को कहा था कि वह 15 जनवरी को देशभर में किसान अधिकार दिवस मनाएगी। इसमें सभी राज्यों में राजभवनों के सामने धरना दिया जाएगा।

इस बीच किसानों के आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट ने तल्‍ख टिप्‍पणियां की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसानों के साथ सरकार की बातचीत के तरीके से वह बहुत निराश है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्‍पणियां सामने आने के बाद कांग्रेस ने सरकार पर तगड़ा निशाना साधा है। कांग्रेस ने कहा है कि अब प्रधानमंत्री को देश के सामने आकर कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा करनी चाहिए। कांग्रेस प्रवक्‍ता रणदीप सुरजेवाला ने सोमवार को कहा कि मोदी सरकार क़ानूनों में 18 संशोधन करने के लिए तैयार है जाहिर है कि ये कृषि कानून ही गलत हैं।

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी हमला बोलते हुए कहा कि केंद्र सरकार को न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य यानी MSP से कम कीमत पर अनाज खरीदने वालों के लिए सज़ा का प्रावधान करना चाहिए। उन्‍होंने कहा, मैं तो शुरू से कह रहा हूं कि तीन नए कृषि क़ानून लेकर आए हैं तो न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य यानी MSP पर चौथा भी ले आएं। अगर न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (MSP) से कम पर कोई भी खरीदेगा तो उसमें सज़ा का प्रावधान कर दीजिए। वही आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा है। नए कृषि क़ानून किसानों के हित के लिए नहीं हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के आंदालन से निबटने के तरीके पर केंद्र सरकार को आड़े हाथ लिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसानों के साथ सरकार की बातचीत के तरीके से वह बहुत निराश है। इस विवाद का समाधान खोजने के लिए अदालत अब एक समिति का गठन करेगी। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने कहा कि हम आपकी बातचीत के बारे में कोई छिटपुट टिप्पणियां नहीं करना चाहते लेकिन हम इस प्रक्रिया से बहुत निराश हैं। हम इन कानूनों को खत्म करने के बारे में बात नहीं कर रहे हैं लेकिन मौजूदा स्थिति बेहद संवेदनशील है।