किसान अन्नदाता, उन्हें बदनाम ना करें, आंदोलनकारियों को नक्सली या खालिस्तानी कहना गलत:रक्षामंत्री राजनाथ सिंह

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि किसान अन्नदाता और देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। किसान आंदोलन के संदर्भ में उन्हें नक्सली और खालिस्तानी कहना गलत है। किसी को भी किसानों को बदनाम नहीं करना चाहिए। एक विशेष साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि किसानों के आंदोलन से सरकार को बहुत दुख पहुंचा है। ये पूछे जाने पर कि आंदोलनकारियों को नक्सल और खालिस्तानी कहा जा रहा है, उन्होंने कहा कि हम किसानों का बहुत सम्मान करते हैं।
रक्षा मंत्री ने कहा कि वह किसानों के सम्मान में हमेशा अपना शीश झुकाते हैं। वे अन्नदाता हैं। अर्थव्यवस्था पर संकट आने पर उसे उबारने की जिम्मेदारी किसान ही उठाते हैं। वे अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। कृषि कानूनों को लेकर जो किसान आंदोलन कर रहे हैं उन्हें सरकार से उन बिंदुओं पर तार्किक बात करनी चाहिए जिस पर उन्हें आपत्ति है। बातचीत में यदि लगा कि कोई मुद्दा किसानों के हित के खिलाफ है सरकार उसमें संशोधन करेगी।
उन्होंने कहा कि सरकार गरीबों और वंचितों के हित में काम कर रही है। लेकिन कुछ ताकतों ने किसानों को भ्रमित कर दिया है। मेरा मानना है कि किसानों को आपत्ति वाले एक-एक बिंदु पर सरकार के साथ बैठकर बात करनी चाहिए और हर बिंदु पर हां या ना में जवाब लेना चाहिए। किसान इन कानूनों को प्रयोग के तौर पर दो साल के लिए लागू होने दें और फिर देखें कि इनसे उन्हें फायदा होता है या नुकसान। जरूरत होने पर हम इनमें आवश्यक सुधार करने को तैयार हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि किसान यदि चाहते हैं कि कुछ निश्चित बिंदुओं पर विशेषज्ञ बात करें तो हम उसके लिए भी तैयार हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों का हित चाहते हैं। कैबिनेट का वरिष्ठ सदस्य होने के नाते मुझे कई मुद्दों पर उनके साथ चर्चा का मौका मिला है। वे 2014 चुनाव के पहले से ही किसानों की आय दोगुना करना चाहते थे। किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए ही ये तीनों कृषि कानून लाए गए हैं।
रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार बार-बार कह रही है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था लागू रहेगी। फिर हम अपने वादे से कैसे मुकर सकते हैं। लोकतांत्रिक व्यवस्था में अगर नेता अपने वादों से मुकरेगा तो जनता अपने तरीके से उसे सबक सिखा देगी। उन्होंने कहा कि किसानों के आंदोलन को लेकर हम असंवेदनशील नहीं हैं। किसानों को आंदोलन करते देख न केवल मैं बल्कि प्रधानमंत्री मोदी भी बहुत दुखी हैं। सिख भाइयों ने इस देश की रक्षा के लिए बहुत बलिदान दिया है। हमें उनकी निष्ठा पर कोई संदेह नहीं है।
1- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक व्यक्ति नहीं अपने आप में संस्था हैं। आंदोलन के नाम पर उनके खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग करना गलत है।

2- किसान आंदोलन में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का टिप्पणी करना गलत था। ऐसा करने का किसी को अधिकार नहीं।

3- मैं किसान मां का बेटा हूं। खेती-किसानी के बारे में मैं कांग्रेस नेता राहुल गांधी से ज्यादा जानकारी रखता हूं।
4- किसान आंदोलन के नाम पर पंजाब में मोबाइल टावरों को नुकसान पहुंचाना गलत है। हमारे किसान भाइयों को देखना चाहिए ऐसा न हो। तोड़फोड़ रुकनी चाहिए।

5- सीमा विवाद को लेकर चीन के साथ चल रही बातचीत का अभी कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया है। यथास्थिति कायम रहने तक सेना की तैनाती में कमी नहीं की जाएगी।

6- जम्मू-कश्मीर के स्थानीय निकाय चुनाव में आतंकवाद और अलगाववाद हारा है और लोकतंत्र जीता है।
7- अपनी सुरक्षा के लिए भारत बहुत सचेत है। सीमा पर गड़बड़ी करने वाले को कतई बख्शा नहीं जाएगा।

10- विपक्षी दल अपने खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगा रहे हैं। उसके पीछे वे अपनी कमजोरी छुपाना चाहते हैं। जब हम हर राज्य में चुनाव जीत रहे हैं तो ऐसा क्यों करेंगे।

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आदर्श कुमार

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