अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी विधि प्रकोष्ठ के अध्यक्ष एवं राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा अब पार्टी के भीतर नेतृत्व परिवर्तन की मांग को बुलंद करने वाले नेताओं में शुमार हो गए हैं। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस की बेहतरी के लिए नेतृत्व परिवर्तन अब जरूरी हो गया है। शीर्ष नेताओं को इस बारे में सोचना होगा तभी पार्टी अपने आपको मजबूती के साथ खड़ा कर पाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि नेतृत्व परिवर्तन से कार्यकर्ताओं में उत्साह की बढ़ोतरी होगी।
विवेक तन्खा ने किसान आंदोलन को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों से कृषि और किसानों के मामले में उद्योगपतियों का हस्तक्षेप बढ़ जाएगा। किसान इसीलिए आंदोलनरत हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा की छवि बड़े उद्योग घरानों का साथ देने वाली पार्टी के तौर पर बन रही है। कृषि कानूनों को लोकसभा और राज्यसभा में आनन-फानन में पेश किया गया।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तारीफ करते हुए राज्यसभा सदस्य तन्खा ने कहा कि समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के मामले में छत्तीसगढ़ ने अनूठा उदाहरण पेश किया है। मुख्यमंत्री बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार किसानों के हित में बेहतर काम कर रही है। मुख्यमंत्री बघेल में किसान नेता बनने के सारे गुण मौजूद हैं। छत्तीसगढ़ में किसानों की स्थिति बेहतर है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री का आचरण किसानों जैसा नहीं है।
गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल और मनीष तिवारी जैसे नेता नेतृत्व परिवर्तन की आवाज उठाकर कोपभाजन का शिकार हो चुके हैं। विवेक तन्खा की राय से पार्टी नेता सहमत तो हैं, लेकिन गांधी परिवार से बाहर जाने को तैयार नहीं हैं। दिल्ली कांग्रेस के नेता और पूर्व सांसद जयप्रकाश अग्रवाल का कहना है कि कांग्रेस का अस्तित्व ही गांधी परिवार के साथ है। फिर चाहे इस परिवार से किसी को भी पार्टी की कमान मिले, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
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आदर्श कुमार
संस्थापक और एडिटर-इन-चीफ