राहुल गांधी बोले, पीएम मोदी को किसानों से करनी चाहिए बात, अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना अपराध नहीं, कर्तव्य

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शनिवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अहंकार की वजह से एक बुजुर्ग किसान के खिलाफ सैनिक खड़ा हुआ। कांग्रेस ने भी कहा कि अच्छा होता अगर कॉरपोरेट आफिसों में खुद का फोटो खिंचवाने के बजाय प्रधानमंत्री आंदोलनरत किसानों से बात करते।
एक बुजुर्ग किसान को लाठी दिखाते सैनिक की तस्वीर साझा करते हुए राहुल ने ट्वीट किया, ‘यह बहुत दुखद फोटो है। हमारा नारा था- जय जवान, जय किसान, लेकिन आज प्रधानमंत्री के अहंकार की वजह से एक सैनिक किसान के खिलाफ खड़ा है। यह बहुत ही खतरनाक है।’ किसानों के आंदोलन को सही ठहराते हुए पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना अपराध नहीं कर्तव्य है। किसानों के खिलाफ फर्जी एफआइआर दर्ज करके मोदी सरकार नए कृषि कानूनों के खिलाफ उनके दृढ़ संकल्प को डिगा नहीं सकती। कृषि विरोधी काले कानूनों को वापस लिए जाने तक यह लड़ाई जारी रहेगी। राहुल ने कहा कि हमारे लिए ‘जय किसान’ था, है और रहेगा।

केंद्रीय कृषि कानूनों को भारतीय खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए आठ विपक्षी दलों ने पुलिस द्वारा किसानों को दिल्ली आने से रोकने के लिए आंसू गैस, पानी की बौछारों के इस्तेमाल और सड़कों को खोदने की तुलना युद्ध छेड़ने से की। साथ ही एक संयुक्त बयान जारी कर इन दलों के नेताओं ने आंदोलनरत किसानों का समर्थन करने की घोषणा की। इनमें राकांपा प्रमुख शरद पवार, द्रमुक के टीआर बालू, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा महासचिव डी. राजा, राजद सांसद मनोज झा, भाकपा (माले) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य, आल इंडिया फारवर्ड ब्लाक के देबब्रत बिस्वास और रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के महासचिव मनोज भट्टाचार्य शामिल हैं।

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

-क्यों न्यूज़ मीडिया संकट में है और कैसे आप इसे संभाल सकते हैं

-आप ये इसलिए पढ़ रहे हैं क्योंकि आप अच्छी, समझदार और निष्पक्ष पत्रकारिता की कद्र करते हैं. इस विश्वास के लिए हमारा शुक्रिया.

-आप ये भी जानते हैं कि न्यूज़ मीडिया के सामने एक अभूतपूर्व संकट आ खड़ा हुआ है. आप मीडिया में भारी सैलेरी कट और छटनी की खबरों से भी वाकिफ होंगे. मीडिया के चरमराने के पीछे कई कारण हैं. पर एक बड़ा कारण ये है कि अच्छे पाठक बढ़िया पत्रकारिता की ठीक कीमत नहीं समझ रहे हैं.

-द दस्तक 24 अच्छे पत्रकारों में विश्वास करता है. उनकी मेहनत का सही मान भी रखता है. और आपने देखा होगा कि हम अपने पत्रकारों को कहानी तक पहुंचाने में जितना बन पड़े खर्च करने से नहीं हिचकते. इस सब पर बड़ा खर्च आता है. हमारे लिए इस अच्छी क्वॉलिटी की पत्रकारिता को जारी रखने का एक ही ज़रिया है– आप जैसे प्रबुद्ध पाठक इसे पढ़ने के लिए थोड़ा सा दिल खोलें और मामूली सा बटुआ भी.

अगर आपको लगता है कि एक निष्पक्ष, स्वतंत्र, साहसी और सवाल पूछती पत्रकारिता के लिए हम आपके सहयोग के हकदार हैं तो नीचे दिए गए लिंक को क्लिक करें और हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें . आपका प्यार द दस्तक 24 के भविष्य को तय करेगा.
https://www.youtube.com/channel/UC4xxebvaN1ctk4KYJQVUL8g

आदर्श कुमार

संस्थापक और एडिटर-इन-चीफ