बिहार में महागठबंधन की सत्ता की उम्मीदों को पलीता लगाने वाले कांग्रेस के लचर चुनावी प्रदर्शन को लेकर पार्टी में आत्ममंथन की आवाज उठने लगी है। सूबे के नेताओं के साथ ही पार्टी के कई वरिष्ठ नेता बेहिचक यह स्वीकार कर रहे हैं कि कांग्रेस के कमजोर स्ट्राइक रेट ने विपक्षी गठबंधन को सत्ता से दूर कर दिया। वरिष्ठ नेता और पार्टी महासचिव तारिक अनवर ने साफ कहा कि हमें सच को स्वीकार करना होगा कि कांग्रेस के कमजोर प्रदर्शन के कारण महागठबंधन की सरकार से बिहार वंचित रह गया।
साथ ही कांग्रेस को इस पर आत्ममंथन करना चाहिए कि कहां उससे चूक हुई। जबकि पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि बिहार के नतीजों पर कांग्रेस कार्यसमिति चिंतन करेगी। बिहार में कांग्रेस के कमजोर प्रदर्शन को लेकर उठ रहे सवालों के बीच तात्कालिक तौर पर इसकी सबसे बड़ी वजह उम्मीदवारों के चयन में हुई अंदरूनी घपलेबाजी से लेकर अपने चुनाव अभियान प्रबंधन को भी राजद के भरोसे छोड़ देने को बताया जा रहा है। इसीलिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की ओर से सवाल उठाया जाना बिहार में कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकारों को असहज करेगा।
तारिक अनवर ने हार से पार्टी के सामने आई चुनौतियों पर बेबाक कहा कि राजद और वामदलों की तरह कांग्रेस का प्रदर्शन होता तो बिहार में महागठबंधन की सरकार होती। बिहार की जनता ने सरकार को बदलने का मन बना लिया था, इसके बावजूद यह नहीं हो पाया तो कांग्रेस को गहराई से इसकी पड़ताल करनी होगी। तारिक ने यह भी कहा कि एआइएमआइएम का बिहार की राजनीति में दस्तक देना सूबे के लिए शुभ संकेत नहीं है।
कांग्रेस के कमजोर प्रदर्शन पर पार्टी के अंदर से उठ रही आत्ममंथन की आवाजों से जुड़े सवाल पर पी. चिदंबरम ने कहा, हम इस बात से सहमत हैं कि बिहार में पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक है। कांग्रेस कार्यसमिति इस पर जरूर विश्लेषण कर उचित निर्णय लेगी। हालांकि जहां तक महागठबंधन द्वारा चुनाव में उठाए गए मुद्दों का सवाल है तो वे खत्म नहीं हुए हैं। चिदंबरम ने कहा कि केंद्र में 2014 से मोदी सरकार और 2005 से बिहार में नीतीश कुमार की सरकार है, फिर भी यह सूबा देश के सबसे गरीब राज्यों में शामिल है।