मध्य प्रदेश में वार पलटवार के बीच नेता मर्यादा की सीमा रेखा भी पार कर जा रहे हैं। इस बीच निर्वाचन आयोग विवादित बयानों को लेकर सख्ती दिखाई है। निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को आचार संहिता के उल्लंघन पर मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम एवं दिग्गज कांग्रेस नेता कमल नाथ पर सख्त कार्रवाई की। आयोग ने कमल नाथ के स्टार कैंपेनर का दर्जा रद कर दिया है। इस कार्रवाई पर कांग्रेस ने कहा है कि वह निर्वाचन आयोग के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी।
मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया कोऑर्डिनेटर नरेंद्र सलूजा ने कहा है कि चुनाव आयोग द्वारा कमल नाथ के स्टार कैंपेनर का दर्जा रद किए जाने को पार्टी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘चुनाव प्रचार खत्म होने के ठीक दो दिन पहले निर्वाचन आयोग की ओर से ऐसा किया जाना अलोकतांत्रिक है। निर्वाचन आयोग ने इस फैसले से पहले कमल नाथ और कांग्रेस पार्टी को कोई नोटिस भी नहीं दिया। हम लोकतंत्र की रक्षा के लिए इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।’
बता दें कि हाल ही में कमलनाथ ने भाजपा प्रत्याशी इमरती देवी पर अमर्यादित बयान दिया था। इसे लेकर भाजपा ने चुनाव आयोग में शिकायत की थी। वहीं महिला अयोग ने चुनाव आयोग से कमल नाथ पर उचित कार्रवाई करने की अपील की थी। आयोग ने इस मामले में कमल नाथ को नोटिस जारी कर 48 घंटे के भीतर जवाब मांगा था। बीते दिनों आयोग ने कहा था कि कमल नाथ ने भाजपा की महिला प्रत्याशी के खिलाफ अमर्यादित शब्द का इस्तेमाल कर आचार संहिता तोड़ी है।
निर्वाचन आयोग ने मध्य प्रदेश में 28 सीटों पर हो रहे विधानसभा उपचुनाव को लेकर उम्मीदवारों के चुनावी खर्चों की एक सीमा तय की है। स्टार प्रचारक के आने-जाने, ठहरने और सभा का व्यय पार्टी के खर्च में जुड़ता है। इससे प्रत्याशी के खर्च की जो अधिकतम सीमा है, वह प्रभावित नहीं होती है। अब कमल नाथ के स्टार प्रचारक नहीं रहने से उनका खर्च प्रत्याशी के व्यय में जुड़ेगा।
निर्वाचन आयोग की कार्रवाई के बाद कमल नाथ ने कहा कि यह मेरी आवाज को दबाने का प्रयास है। कांग्रेस की आवाज को कुचलने की कोशिश है। सत्य को परेशान किया जा सकता है, पराजित नहीं। जनता सच्चाई का साथ देगी। वहीं प्रदेश भाजपा ने कहा है कि कमल नाथ अहंकार में चूर थे। महिलाओं, मतदाताओं और प्रदेश की जनता का अपमान कर रहे थे। भाजपा प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा कि कमलनाथ से अपेक्षा तो नियम का ज्यादा पालन करने की थी, क्योंकि वे सबसे ज्यादा संसदीय अनुभव रखने वाले नेता हैं, मगर वे ऐसा नहीं कर सके। चुनाव आयोग द्वारा उठाए गए कदम के लिए जिम्मेदार खुद कमल नाथ हैं।
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आदर्श कुमार
संस्थापक और एडिटर-इन-चीफ