मध्य प्रदेश में उपचुनाव के दौर में कांग्रेस के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों को लेकर भाजपा का अजब रुख सामने आ रहा है। कमल नाथ पर लगातार हमलावर भाजपा ने पहली बार दिग्विजय सिंह को राहत दी है। कमल नाथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हैं वहीं दिग्विजय मध्य प्रदेश कांग्रेस की दूसरी धुरी लेकिन भाजपा इस बार नाथ पर हमलावर है। वहीं कांग्रेस की तरफ से बचाव न करने की शैली में भी अंतर साफ नजर आ रहा है।
कांग्रेस में पहले कोई दिग्विजय का बचाव करने नहीं आता था अब ऐसा ही कमल नाथ के साथ हो रहा है। कांग्रेस का कोई नेता कमल नाथ के बचाव में आगे नहीं आ रहा है। खुद दिग्विजय भी कमल नाथ पर हो रहे हमले के खिलाफ मुखर होते नहीं दिख रहे हैं। खास बात है कि 17 वर्षों में चुनाव में यह पहला मौका है जब दिग्विजय के खिलाफ भाजपा आक्रामक नहीं है। साल 2003 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को मिस्टर बंटाधार का तमगा दिया था।
तब से मध्य प्रदेश में जो भी चुनाव हुए भाजपा दिग्विजय शासनकाल को सबसे बुरे दौर के रूप में पेश करती आ रही है। भाजपा आंकड़ों में शिवराज सरकार की सफलता की तुलना भी दिग्विजय के शासनकाल से करती रही है। भाजपा सड़क, बिजली, पानी, रोजगार सहित गरीबों की मुश्किलों के मुद्दे उठाती रही है। अब पहला चुनाव ऐसा है, जिसमें भाजपा के सारे आरोप-प्रत्यारोपों के केंद्र में सिर्फ कमल नाथ हैं। यही वजह है कि कमल नाथ इन दिनों मध्य प्रदेश में चारों तरफ से घिर गए हैं।
भाजपा उन्हें बड़े उद्योगपति के रूप में कारपोरेट की तरह सियासत करने के आरोप लगा रही है। यही नहीं उन्हें 15 महीने के कार्यकाल के दौरान मात्र छिंदवाड़ा तक सीमित रहने का आरोप लगाया जा रहा है। कमल नाथ के आरोपों पर जवाब देने के लिए उनकी सरकार की कैबिनेट से लेकर अन्य कोई सामने नहीं आ रहा है, न ही राज्यसभा सांसद विवेक तनखा कुछ बोलते हैं।
साल 2018 में विधानसभा चुनाव के दौरान दिग्विजय सिंह से लेकर विवेक तनखा, सुरेश पचौरी, कांतिलाल भूरिया, अरुण यादव, अजय सिंह जैसे नेताओं ने मोर्चा संभाल रखा था। भाजपा नेता अलग-अलग मंच से कमल नाथ पर हमलावर हैं, जिसका जवाब कांग्रेस की तरफ से नहीं मिल रहा है। मीडिया प्रभारी केके मिश्रा कहते हैं कि इसे हम कांग्रेस की महान उपलब्धि मानते हैं कि हमारे चुनाव प्रचार अभियान के एकमात्र प्रमुख चेहरे कमल नाथ भाजपा के निशाने पर हैं।