कभी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे और अब लोकतांत्रिक जनता दल के कर्ताधर्ता शरद यादव की बेटी सुभाषिनी राज राव और लोक जनशक्ति पार्टी के महासचिव काली प्रसाद पांडे बुधवार को कांग्रेस में शामिल हो गए। । दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में उनकी ज्वाइनिंग हुई। सुभाषिनी बिहार के मधेपुरा जिले की बिहारीगंज सीट से कांग्रेस की उम्मीदवार हो सकती हैं। जबकि पांडे पहले ही बिहार के कुचायकोट निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल कर चुके हैं।
बिहार कांग्रेस के प्रमुख मदन मोहन झा ने दोनों का स्वागत करते हुए कहा कि पार्टी में दोनों के शामिल होने की वजह से महागठबंधन राज्य में और मजबूत होगा। दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए, सुभाषिनी राव ने कहा कि उनके पिता अपनी बीमारी के कारण बिहार में चुनाव प्रचार में हिस्सा नहीं ले पाए हैं।उनके पिता शरद यादव मधेपुरा से सांसद रह चुके हैं। शरद यादव की तबीयत पिछले दिनों खराब थी। वह हाल ही में एम्स से डिस्चार्ज होकर घर लौटे हैं। शरद जब एम्स में भर्ती थे तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई बार फोन कर उनका हालचाल लिया। तब सुभाषिनी राज राव ने सार्वजनिक रूप से उनके प्रति आभार प्रकट किया था। इसके बाद अटकलें लगने लगी थीं कि शरद जनता दल यूनाइटेड में लौट सकते हैं। दरअसल, शरद और नीतीश लम्बे समय तक साथ काम कर चुके हैं लेकिन कई मुद्दों को लेकर दोनों के बीच मतभेद बढ़ते चले गए और उनकी राहें जुदा हो गईं।
तीन साल पहले अगस्त 2017 में पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में शरद यादव को जेडीयू से निकाल दिया गया था। इसी के बाद उन्होंने लोकतांत्रिक जनता दल (एलजेडी) का गठन किया। 2019 के लोकसभा चुनाव में वे महागठबंधन का हिस्सा थे और इसी के बैनर तले मधेपुरा से चुनाव भी लड़े लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। बताते हैं कि शरद की इच्छा मधेपुरा से अपने परिवार के किसी सदस्य को चुनाव लड़ाने की इच्छा वर्षों से थी। इस इच्छा को लेकर बुधवार को उनकी बेटी सुभाषिनी राज राव कांग्रेस में शामिल हुई हैं। कांग्रेस उन्हें मधेपुरा की बिहारीगंज सीट से अपना उम्मीदवार बना सकती है।
शरद यादव 1991 और 1996 में मधेपुरा लोकसभा सीट से सांसद बने थे। मूल रूप से मध्य प्रदेश के रहने वाले शरद 1974 में पहली बार जबलपुर से सांसद बने थे। 1977 में वह दोबारा इसी सीट से सांसद चुने गए। 1986 में शरद राज्यसभा सांसद बने। इसके बाद वह बदाऊं संसदीय सीट से चुनाव लड़े और जीते। 1989 में वी.पी.सिंह की सरकार में शरद यादव को भारत सरकार में टेक्सटाइल और खाद्य प्रसंस्करण मंत्री बनाया गया था। 1991 और 1996 में वह मधेपुरा से सांसद चुने गए। 1997 में वह जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए। शरद यादव ने जनता दल से राह अलग कर 1998 में समता पार्टी का गठन किया। 1999 में एनडीए सरकार में वह नागरिक उड्डयन विभाग के मंत्री बने। 2001 में केंद्रीय श्रम मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री बनाया गया। शरद यादव को 2004 में राज्यसभा से दूसरी बार सांसद बनाया गया। 2009 के लोकसभा चुनाव में वह मधेपुरा से चुनाव जीते। महागठबंधन से अलग होकर जनता दल यूनाइडेट के एनडीए में शामिल होने के बाद वह जद यू से बाहर आए और लोकतांत्रिक जनता दल बना ली।