बिहार चुनाव में सीट बंटवारे के लिए महागठबंधन सियासी नफा-नुकसान के आकलन में जुटा है। महागठबंधन के भीतर शहरी इलाकों में भाजपा को थामने के लिए राजद की तुलना में कांग्रेस को अधिक प्रभावी आंका जा रहा है। इसी रणनीति के तहत महागठबंधन में सूबे के शहरी इलाकों की ज्यादा सीटें कांग्रेस के खाते में जाने की पूरी संभावनाएं हैं।
चुनाव का बिगुल बजने के साथ ही महागठबंधन के रणनीतिकारों के बीच सीट बंटवारे की चर्चाएं लगभग अंतिम दौर में पहुंच गई हैं। सूत्रों के अनुसार, इन चर्चाओं के दौरान ही राजद नेतृत्व की ओर से कांग्रेस को शहरी सीटों की दावेदारी पर ज्यादा फोकस करने का प्रस्ताव दिया गया है। इसके पीछे तर्क यह है कि राजग में जदयू की तुलना में भाजपा अधिक संख्या में शहरी क्षेत्र की सीटों पर चुनाव लड़ेगी। शहरी इलाकों खासकर मध्यम वर्ग के बीच राजद की राजनीतिक छवि पार्टी के लिए शुरू से चुनौती रही है। ऐसे में भाजपा को थामने के लिए राजद की तुलना में कांग्रेस के उम्मीदवार शहरी इलाकों में अधिक सक्षम होंगे।
महागठबंधन के रणनीतिकारों का आकलन है कि रोजी-रोजगार के मौजूदा संकट और अर्थव्यवस्था की गंभीर स्थिति के मौजूदा समय में शहरी मध्यम वर्ग को मनमोहन सिंह सरकार के आर्थिक दौर की बातें कांग्रेस के पक्ष में आकर्षित कर सकती हैं।वैसे भी परंपरागत रूप से भाजपा का शहरी इलाकों में प्रभाव रहा है। अपने आंतरिक सर्वे के आधार पर महागठबंधन का आकलन है कि चुनाव में सत्ता विरोधी भावनाएं भी भाजपा के मुकाबले जदयू को अधिक परेशान करेंगी। इसीलिए महागठबंधन में सीट बंटवारे की संयुक्त रणनीति इसी हिसाब से होनी चाहिए।
हालांकि, बता दें कि महागठबंधन में सीट बंटवारे की चर्चा अब उपेंद्र कुशवाहा को कुनबे से बाहर मानकर ही हो रही है। कुशवाहा के मसले पर राजद नेता तेजस्वी को राजी करने की कोशिश कांग्रेस ने भी छोड़ दी है। ऐसे में सूबे की 243 सीटों में मुख्य बंटवारा राजद और कांग्रेस के बीच ही होगा। कांग्रेस रणनीतिकारों के अनुसार भाकपा, माकपा और भाकपा-माले का महागठबंधन के साथ चुनावी तालमेल लगभग तय है।सीट बंटवारे पर हो रही चर्चा में साफ हो गया है कि पिछले चुनाव में राजद जिन 101 सीटों पर और कांग्रेस 41 सीटों पर लड़ी थीं, वे उनके पास रहेंगी। जदयू कोटे की बची 101 सीटों में से वामदलों के लिए कुछ सीटें छोड़ने के बाद बाकी सीटें राजद और कांग्रेस आपस में बांटेंगी।
मालूम हो कि महागठबंधन में पिछली बार जदयू भी शामिल था और चुनाव के डेढ़ साल बाद उसने दोबारा राजग का दामन थामा था। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के राजनीतिक परिदृश्य से गायब होने के बाद बिहार के बदले माहौल में कांग्रेस इस चुनाव में स्वाभाविक रूप से अधिक सीटें अपने खाते में लाने के लिए जोर लगा रही है। जदयू वाली 101 सीटों पर कांग्रेस 50-50 फॉर्मूले के तहत आधी सीटों पर दावेदारी जता रही है। कांग्रेस सूबे की 80 से 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारना चाहती है। राजद अभी इस पर सहमत नहीं हुआ है। ऐसे में सीट बंटवारे को लेकर खींचतान नामांकन के आखिरी समय तक जारी रहने के आसार हैं।