आप संसद की कार्यवाही को टीवी पर देखते अक्सर स्पीकर और सदस्यों को यह कहते हुए सुनते हैं कि सदन नियमों से चलता है। यही सच भी है। संसद की कार्यवाही रूल बुक के हिसाब से चलती है। सांसदों के व्यवहार को नियंत्रित करने और कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने के लिए नियम 373 और 374 का इस्तेमाल किया जाता है।
नियम 374 (1), (2) और (3) के मुताबिक, यदि लोकसभा अध्यक्ष की राय में किसी सदस्य ने अध्यक्ष के प्राधिकारों की उपेक्षा की है या वह जान बूझकर कार्यवाही में बाधा डालता है तो स्पीकर उस सदस्य का नाम लेकर उसे सत्र के बचे हुए समय के लिए निलंबित कर सकता है। निलंबित सदस्य तुरंत लोकसभा से बाहर चला जाता है।
यदि कोई सदस्य लोकसभा अध्यक्ष के आसन के निकट आकर या सभा में नारे लगाकर या अन्य प्रकार से लोकसभा की कार्यवाही में बाधा डालकर जान बूझकर सभा के नियमों का उल्लंघन करते अव्यवस्था उत्पन्न करता है तो उस पर इस नियम के तहत कार्रवाई की जाती है। लोकसभा अध्यक्ष द्वारा उसका नाम लिए जाने पर वह लोकसभा की पांच बैठकों या सत्र की शेष अवधि के लिए (जो भी कम हो) स्वतः निलंबित हो जाता है।