यूपी में ग्राम प्रधान, बीडीसी और जिला पंचायत सदस्यों का कार्यकाल नवंबर दिसंबर में समाप्त होने जा रहा है। बुलंदशहर में इस बार चुनाव में लगभग अस्सी प्रतिशत प्रधान, बीडीसी और जिला पंचायत सदस्य चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। इसके पीछे कारण है कि 80 प्रतिशत ने चुनाव खर्च ही जमा नहीं कराया है।
बताते चलें कि नवंबर-दिसंबर में होने वाले त्रिस्तरीय चुनाव कोरोना संक्रमण के चलते समय पर नहीं हो पाएंगे। चुनाव अगले माह अप्रैल मई में हो सकते हैं। इस बार चुनाव लड़ने का सपना देख रहे मौजूदा प्रधान, बीडीसी व जिला पंचायत सदस्यों में से अस्सी प्रतिशत का सपना केवल सपना ही रह जाएगा। क्योंकि इनमें से अस्सी प्रतिशत लोगों ने चुनाव आयोग के नियमों, दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया है। चुनाव के समय आयोग की ओर से चुनाव में होने वाले खर्च का ब्योरा जमा करने के निर्देश दिए गए थे। साथ ही चुनाव में हुए खर्च का ब्योरा नहीं देने वालों को चुनाव लड़ने के लिए आयोग्य घोषित होने की हिदायत भी दी गई थी। ऐसे में चुनाव में जीतने और हारने वाले लगभग अस्सी प्रतिशत लोगों ने इसका पालन नहीं किया गया। अब आगामी चुनाव में नामांकन के समय यह देखा जाएगा कि किसने ब्योरा दिया है और किसने नहीं दिया है। जिन लोगों ने ब्योरा नहीं दिया है उन्हें चुनाव लड़ने के लिए आयोग्य माना जा सकता है।
रवीन्द्र कुमार, एडीएम प्रशासन/उप जिला निर्वाचन अधिकारी बताते हैं कि चुनाव में निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों का शत-प्रतिशत पालन किया जाएगा। आयोग द्वारा ऐसे लोगों पर निर्णय लिया जाएगा। निर्णयानुसार जो भी आयोग्य होगा उसे चुनाव लड़ने की परमीशन नहीं दी जाएगी।