भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव अभी जारी है। दोनों देशों की सेनाएं पूर्वी लद्दाख में आमने-सामने खड़ी हैं। कमांडर स्तर की वार्ता और राजनयिक स्तर पर चल रही बातचीत के बावजूद चीन अपनी आदत से बाज नहीं आ रहा है और लगातार उकसावे वाली हरकतें कर रहा है।
एलएसी पर सैन्य गतिविधियों में बढ़ोतरी करने के बाद अब चीन ने कैलाश-मानसरोवर के पास मौजूद एक झील के पास सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल को तैनात किया है। विशेषज्ञों ने बताया है कि मिसाइल की तैनाती चीन की ओर से जारी आक्रामक उकसावे का हिस्सा है, जिससे दोनों देशों के बीच सीमा विवाद और जटिल हो सकता है।
कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील, जिसे आमतौर पर कैलाश-मानसरोवर स्थल के रूप में जाना जाता है, चार धर्मों द्वारा पूजनीय है और भारत में सांस्कृति और आध्यात्मिक शास्त्रों से जुड़ा हुआ है। हिंदू इस स्थल को शिव और उनकी पत्नी पार्वती का निवास मानते हैं, तिब्बती बौद्ध लोग पहाड़ को कंग रिंपोछे कहते हैं। जैन इस पहाड़ को अस्तपद कहते हैं और इसे वह स्थान मानते हैं जहां उनके 24 आध्यात्मिक गुरुओं में से प्रथम ने मोक्ष प्राप्त किया।
तिब्बत के बौद्ध पूर्व धर्म बोन्स के अनुयायी इस पर्वत को आकाश की देवी सिपाईमेन का निवास स्थान बताते हैं। भारत द्वारा एलएसी पर पीछे हटने से इंकार करने के बाद चीन ने इस मिसाइल को उस पवित्र स्थल पर लगाया गया है, जो गंगा नदी की सहायक चार अंतर-नदियों का उद्गम स्थल है।
“तिब्बत में जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल की तैनाती से हैरानी नहीं होनी चाहिए। यह शुद्ध रूप से अधिनायकवादी अस्थिरता और भारत को उकसाने के लिए है, जिसने चीनी खतरे और आक्रामकता के सामने पीछे हटने से इनकार कर दिया है”
वॉशिंगटन बेस्ड ह्यूस्टन इंस्टीट्यूट इनिशिटिव ऑन द फ्यूचर ऑफ इंडिया एंड साउथ एशिया की डायरेक्टर अपर्णा पांडे ने कहा कि चीन धर्म और संस्कृति में विश्वास और उनका सम्मान नहीं करता है। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि वे किसी धर्म को नहीं मानते हैं। उनका मानना है कि धर्म जनता की अफीम है और वे जिस विचारधारा की परवाह करते हैं, वह उनका कम्युनिज्म।