मध्य प्रदेश में 27 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने में लगभग डेढ़ महीना ही बचा है, लेकिन भाजपा में असंतोष थमता नजर नहीं आ रहा। ऐसे में पार्टी को कांग्रेस के साथ अपनों से भी निपटने की नौबत आ गई है। नरम पड़ते तेवर के बावजूद असंतुष्टों के बडे़ सवाल कांग्रेस से आए नेताओं को तवज्जो मिलने पर है। आगर छोड़कर 26 सीटों पर जिन भाजपा नेताओं ने 2018 का विधानसभा चुनाव लड़ा था, वे नाराज हैं। चाहे चंबल-ग्वालियर के दिग्गज नेता जयभान सिंह पवैया हों या मालवा अंचल से आने वाले पूर्व मंत्री दीपक जोशी। जोशी पार्टी में संवादहीनता से आहत हैं। कहते हैं ऐसे हालात पार्टी में कभी नहीं रहे। अनूप मिश्रा कह रहे हैं कि हम लडे़ंगे पर पार्टी के भीतर। अनुसूचित जनजाति के वरिष्ठ नेता डॉ. गौरीशंकर शेजवार पहले से ही नाराज हैं। वे कहते हैं कि आगामी दिनों में चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को भाजपा के मूल कार्यकर्ता से सम्मान के साथ आग्रह करना होगा। स्पष्ट है उनका इशारा कांग्रेस से आए नेताओं की ओर है। इधर, पार्टी का एक बड़ा असंतुष्ट गुट वरिष्ठ नेता रघुनंदन शर्मा के नेतृत्व में एकजुट हो रहा है।
पूर्व मंत्री दीपक जोशी ने नईदुनिया से खास चर्चा में कहा कि व्यक्तिगत रूप से तो पार्टी में संवादहीनता की स्थिति है। हो सकता है कि इसकी वजह पार्टी का व्यापक होता स्वरूप हो। जोशी 1991 का जिक्र करते हैं, जब उन्होंने कांग्रेस में जाने का मन बना लिया था, तब दिग्विजय सिंह ने उन्हें मना किया था। जोशी बताते हैं कि जब इसकी खबर कुशाभाऊ ठाकरे को लगी तो उन्होंने लखनऊ से फोन कर वजह पूछी। अगले दिन भोपाल पहुंचकर जोशी को बुलाया और बात की।
पूर्व सांसद अनूप मिश्रा कहते हैं कि जो भी बात है, उस पर बंद कमरे में सुलह कर लेंगे। पार्टियों में आना–जाना कोई नई बात नहीं है। भाजपा में पहले भी कांग्रेस व अन्य दलों से लोग आते रहे हैं। मेरा मानना है कि उनका स्वागत होना चाहिए और उन्हें पार्टी के संस्कार को स्वीकार करना चाहिए। हम तो चाहते हैं कि पार्टी में संपर्क, सहयोग और संवाद बना रहे।
भाजपा के वरिष्ठ नेता रघुनंदन शर्मा कहते हैं कि पार्टी के वरिष्ठ और निष्ठावान कार्यकर्ता संवाद-संपर्क के अभाव में असहज अनुभव न करें। उनकी उपेक्षा न हो। इस बारे में संगठन महामंत्री सुहास भगत और प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने हमारी बात को स्वीकार किया है। हम पार्टी के शुभचिंतक हैं।
एक मंच पर आए सिंधिया और पवैया
इधर, शनिवार को ग्वालियर में पहली बार अलग ही सियासी नजारा देखने में आया, जब फूलबाग में आयोजित भाजपा के सदस्यता अभियान शुभारंभ कार्यक्रम में ज्योतिरादित्य सिंधिया और जयभान सिंह पवैया यानी सियासत के दो ध्रुव एक साथ मंच पर मौजूद थे। इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पवैया की तारीफ में जहां पुल बांधे, वहीं प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने पवैया को उन्हें राजनीति में लाने का श्रेय दिया। हालांकि, पवैया की भाव-भंगिमा पर कोई फर्क नहीं दिखा। उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित नहीं किया। वह शहर में आयोजित तीन में से सिर्फ इसी कार्यक्रम में पहुंचे। खास बात रही कि इस दौरान पवैया और सिंधिया ने एक-दूसरे का एक बार भी रख नहीं किया। पवैया के मौन के भी कई अर्थ निकाले जा रहे हैं। हालांकि, पवैया को ऐसा नेता माना जाता है कि जो पार्टी की लक्ष्मण रेखा को कभी पार नहीं करते हैं।