उत्तर प्रदेश और देश के विभिन्न राज्यों में कोरोना वायरस के बढ़ रहे मामलों के बीच श्री राम जन्मभूमि न्यास आगामी पाँच अगस्त के राम मंदिर शिलान्यास के कार्यक्रम में आगंतुकों की संख्या कम करने पर विचार कर रहा है.
अयोध्या की अगर बात की जाए तो इस ज़िले में भी संक्रमण के नए मामले सामने आ रहे हैं जिसको लेकर सबने चिंता व्यक्त की है.
पहले यह तय था कि महामारी की वजह से पाँच अगस्त के कार्यक्रम में सिर्फ़ 150 लोग ही शामिल किए जायेंगे ताकि कोरोना वायरस के समय में फिजिकल डिस्टेंसिंग बनाई रखी जा सके. लेकिन गृह मंत्री अमित शाह के संक्रमित होने के बाद अब विचार हो रहा है कि संख्या को और कम किया जाए या नहीं.
अमित शाह ने भी ट्वीट कर कहा है कि पिछले दिनों जो भी लोग उनके संपर्क में आए हैं वो ख़ुद को आइसोलेट यानी अलग थलग कर लें और अपनी जाँच भी करवा लें.
ऐसे में कई सवाल उठते हैं कि क्या इस दौरान उनके संपर्क में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी थे? या भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ मंत्री और नेता भी उनके संपर्क में थे जिन्हें पाँच अगस्त के शिलान्यास के कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया गया है.
वैसे एक दिन पहले ही उत्तर प्रदेश की सरकार में एक मंत्री का निधन कोरोना वायरस संक्रमण के कारण हो गया है. राज्य में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष भी संक्रमित हैं. इनके अलावा दो राज्यों – यानी मध्य प्रदेश और कर्नाटक के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और बीएस येद्दियुरप्पा भी संक्रमित पाए गए हैं. दोनों ही भारतीय जनता पार्टी के हैं. इन दोनों के अलावा एक राज्यपाल भी संक्रमित पाए गए हैं.
आडवाणी, जोशी और उमा भारती
मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने आज कई ट्वीट कर कहा है कि वो अयोध्या तो जाएंगी मगर समारोह के आयोजन स्थल पर नहीं जाएंगी. उनका कहना है कि वो शिलान्यास के कार्यक्रम में शामिल होने वाले लोगों और ख़ास तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं.
उनका कहना है कि वो भोपाल से अयोध्या ट्रेन में सफ़र करेंगी इसलिए संक्रमण के फैलाव के बीच यात्रा करने की वजह से वो समारोह स्थल पर नहीं जाना चाहतीं हैं. वो कहतीं हैं कि सर्यू नदी के किनारे ही किसी दूसरे स्थान पर वो इस दौरान पूजा अर्चना करेंगीं.
राम जन्मभूमि के आन्दोलन से जुड़े भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिए समारोह में शामिल होने की व्यवस्था की गयी है. इसका मतलब है कि ये दोनों ही नेता अयोध्या नहीं जायेंगे.
हालांकि बीबीसी से बात करते हुए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के प्रवक्ता अनिल मिश्र ने कहा कि आयोजन में कितने लोग आयेंगे इसको लेकर विचार चल रहा है. उनका कहना था कि ऐसा नहीं है कि समारोह में 150 लोगों को ही आमंत्रित किया गया है और अब उनकी संख्या घटा दी गयी है. इसपर विचार चल रहा है इसलिए ये कहना सही नहीं है कि कितने गणमान्य व्यक्ति शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल किये जायेंगे.
वो कहते हैं कि इसकी घोषणा जल्द ही की जायेगी.
निर्मोही अखाड़ा की आपत्ति
आयोजन के समय, और इसके लिए जिनको आमंत्रित किया गया है, इसपर राजनीतिक दल के सदस्यों के अलावा राम जन्मभूमि आन्दोलन में प्रमुख रहे निर्मोही अखाड़े को भी आपत्ति है.
राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता मनोज झा कहते हैं कि जब अदालत ने मंदिर निर्माण के पक्ष में फ़ैसला सुनाया है तो फिर ये तो तय है कि मंदिर बनेगा ही. लेकिन वो कहते हैं कि कोरोना वायरस महामारी के बीच आयोजन किस दिन किया जाए इसपर पुनर्विचार करने की ज़रुरत थी.
उन्होंने बीबीसी से कहा, “मंदिर तो वहीं बनेगा ये अदालत ने तय कर दिया है. मगर परिस्थितियाँ ऐसीं हैं कि महामारी के इस काल में बहुत सारे लोगों का एक जगह जमा होना उनके लिए और दूसरे लोगों के लिए भी ठीक नहीं होगा.”
निर्मोही अखाड़े को भी मंदिर निर्माण के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनाए गए न्यास में एक सदस्य के रूप में शामिल किया गया है. यानी अखाड़े के एक सदस्य न्यास का हिस्सा हैं.
मगर निर्मोही अखाड़े के प्रवक्ता कार्तिक चोपड़ा ने बीबीसी से बात करते हुए आरोप लगाया है कि “इस आयोजन को केंद्र और राज्य सरकार ने आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद्, भारतीय जनता पार्टी और उद्योगपतियों तक ही सीमित कर दिया है.”
कार्तिक चोपड़ा कहते हैं कि निर्मोही अखाड़े से जिन्हें सरकार ने न्यास में शामिल किया है उनका चयन प्रतिनिधि के तौर पर अखाड़े की तरफ़ से नहीं किया गया है. सरकार ने बिना अखाड़े से चर्चा किये ही अखाड़े का प्रतिनिधि चुन लिया जो सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का भी उल्लंघन है.
निर्मोही अखाड़ा ये मांग करता रहा है कि उसने वर्ष 1866 से ही अदालत में राम मंदिर के लिए क़ानूनी लड़ाई लड़ी है इसलिए मंदिर निर्माण के लिए पहली ईंट आधारशीला में रखने का मौक़ा भी उसे मिलना चाहिए. अखाड़े की माँग थी कि सोने से बनी सूर्य भगवान की शीला सबसे पहले रखी जानी चाहिए चूँकि पहले सूर्य है और उसके बाद ही दूसरे ग्रह.
लेकिन आयोजन के लिए जो मुहूर्त निकाला गया है वो पाँच अगस्त को 12 बजकर 15 मिनट और 15 सेकेंड का है. मुहूर्त सिर्फ़ 32 सेकेंड तक ही है.