कोरबा : जिले के तिलकेजा में एक किशोरी का बाल विवाह शुक्रवार को तय किया गया था। कुछ जागरूक ग्रामीणों ने वक्त रहते इसकी सूचना महिला एवं बाल विकास विभाग को दे दी। कन्या को हल्दी भी लग चुकी थी। अब शुभ मुहूर्त के साथ फेरे लेने बारातियों का इंतजार था। ऐनवक्त पर टीम वहां पहुंची और बाल विवाह रोक दिया गया।
जन-जागरूकता की इसी कड़ी में जिला कोरबा के ग्राम तिलकेजा के ग्राम पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण समिति के सदस्यों ने 9-7-20 जुलाई को ग्राम तिलकेजा में किशोरी के बाल विवाह कराए जाने की सूचना दी। इसकी जांच कर बाल विवाह को रोकने कोरबा ग्रामीण अंतर्गत सेक्टर सुपरवाइजर रागिनी बैस के मार्गदर्शन में जिला बाल संरक्षण इकाई, महिला एवं बाल विकास विभाग, चाइल्ड लाइन 1098 कोरबा, पुलिस बल उरगा एवं ग्राम पंचायत तिलकेजा के बाल संरक्षण समिति के सदस्यों व प्रतिनिधि बाल विवाह रोकने रवाना हुए। बालिका की आयु 18 वर्ष से कम पाई गई।
टीम ने बाल विवाह की रोकथाम के लिए बने कानून के बारे में बताया गया। विवाह के लिए कानूनन लड़की की न्यूनतम आयु 18 वर्ष व लड़के की न्यूनतम आयु 21 वर्ष निर्धारित की गई है। इसके विपरित अगर बाल विवाह किया जाता है तो उनके विरूद्घ कठोर दंड का प्रावधान है। घराती-बराती एवं विवाह करनेवालों के साथ विवाह में सम्मिलित समस्त लोगों को कठोर दंड से दंडित किया जा सकता है। साथ ही लाखों का जुर्माना व सात वर्ष तक सजा का प्रावधान है। इसके साथ ही यदि विवाह करने वाला लड़का 21 वर्ष का हो परंतु लड़की 18 वर्ष से कम हुई तो लड़के के विरूद्घ पास्को एक्ट के तहत कार्रवाई करते हुए सात वर्ष तक की सजा से दंडित किया जाएगा। इन बातों से अवगत कराते हुए नाबालिग बालिका का विवाह उसके बालिग हो जाने के पश्चात करने समझाईश दी गई, जिससे परिजन भी सहमत हुए और बालिग होने के बाद ही विवाह कराने का संकल्प लिया।(ज़िला संवाददाता उत्सव यादव कोरबा)