5 जुलाई की रात को चीन-भारत सीमा समस्या के चीनी विशेष प्रतिनिधि, चीनी स्टेट काऊंसलर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने भारतीय विशेष प्रतिनिधि और भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल के साथ फोन पर बातचीत की। दोनों पक्षों ने सीमा मसले पर चार सहमतियां प्राप्त कीं। कई बार संपर्क और सलाह मशविरे के बाद चीन और भारत के बीच सहमति कायम हुई है। यह आसान बात नहीं है, जिससे दोनों पक्षों द्वारा वार्ता और सलाह मशविरे के जरिए मतभेदों को दूर करने का संकल्प जाहिर हुआ है, जिसने चीन-भारत संबंधों और विश्व शांति व स्थिरता में विश्वास डाला है।
इस अप्रैल से चीन और भारत की सीमा के पश्चिमी भाग की गलवान घाटी में संघर्ष ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचा है। चीन ने भारत के समक्ष गंभीरता से मामला उठाया है। इस बार चीन और भारत के नेताओं के बीच प्राप्त सहमति अति महत्वपूर्ण है, जिसमें दो शब्द ध्यानाजनक है। पहला शब्द है सहमति। लोगों ने याद किया है कि 2018 के अप्रैल और 2019 के अक्तूबर माह में चीन और भारत के शिखर नेताओं की दो अनौपचारिक भेंटवार्ताओं में दोनों पक्षों ने मैत्रीपूर्ण सहयोग की दिशा पर चलने पर जोर दिया और मतभेदों को नियंत्रित कर विवाद को आगे न बढ़ने देने पर सहमति जताई।
इन सहमतियों ने दोनों देशों के मतभेदों को दूर करने के लिए दिशा दी है। दूसरा शब्द है वार्तालाप। दोनों पक्षों ने वार्तालाप और सलाह मशविरा करने को मंजूरी दी और सीमांत क्षेत्र के विश्वास कदम के निर्माण को निरंतर परिपक्व करने पर भी मतैक्य प्राप्त किया। दोनों ने यह जान लिया है कि वार्तालाप से ही सीमा मुद्दे की तनावपूर्ण स्थिति का हल किया जा सकता है।
विश्व के दो सब से बड़े विकासशील देशों और 1 अरब से अधिक आबादी होने वाले नवोदित बाजार आर्थिक समुदाय होने के नाते चीन और भारत द्वारा सीमा क्षेत्र की शांति की रक्षा करने का बहुत अहम अर्थ है।
हाल में पुनरुत्थान चीन और भारत के लिए प्राथमिक मिशन है। भारत को लोकमत को सही दिशा में गाइड करना चाहिए, ताकि स्थिति और गंभीर होने से बचे। चीन और भारत पड़ोसी देश हैं, साथ ही दोनों विश्व आर्थिक विकास के अहम प्रेरणा इंजन हैं। इस साल चीन-भारत राजनयिक संबंध स्थापना की 70वीं वर्षगांठ है। ड्रैगन और हाथी का एक साथ नाचना ही दोनों का एकमात्र सही विकल्प है, जो दोनों देशों और दोनों देशों की जनता के बुनियादी हितों और विश्व की स्थायी शांति व समृद्धि से मेल खाता है। चीन और भारत को साथ मिलकर सहमति का कार्यान्वयन करना चाहिए और यथार्थ कार्यवाई से सीमा क्षेत्र की शांति की रक्षा करने का प्रयास करना चाहिए।