मध्य प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में कोरोना महामारी और अपराधों के मसलों पर चर्चा होने के आसार कम

मध्य प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में कोरोना महामारी और अपराधों के मसलों पर चर्चा होने के आसार कम ही हैं। सत्र के पहले दिन स्वास्थ्य, गृह और पंचायत एवं ग्रामीण विकास जैसे महत्वपूर्ण विभागों के सवालों को प्रश्‍नकाल में रखा गया है लेकिन इस दिन दिवंगत विधायक मनोहर ऊंटवाल को श्रद्धांजलि अर्पित कर सदन की कार्यवाही स्थगित होने की आशंका भी है। वहीं बजट पारित करने के लिए जल्दबाजी में बुलाए सत्र में सवाल करने के लिए विधायकों को महज तीन से आठ दिन का समय ही मिला है।

प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के विधायकों का कहना है कि कोरोना संकट और लॉकडाउन के दौरान हुए अपराध, प्रवासी मजदूरों की समस्याएं जैसे मुद्दों पर विधायकों के सर्वाधिक सवाल आते लेकिन इन पर चर्चा से बचने के लिए ही भाजपा सरकार ने सत्र का ऐसा कार्यक्रम बनाया है कि सवाल करने के लिए कम समय म‍िल रहा है। 20 जून को अधिसूचना जारी होने के बाद तीन से आठ दिन का ही समय सवाल करने के लिए दिया गया है। स्वास्थ्य, गृह और पंचायत एवं ग्रामीण विकास जैसे विभागों के ऑनलाइन सवालों को पूछने के लिए तो केवल तीन दिन ही दिए गए हैं।

विधायकों का कहना है कि अन्य विभागों के सवालों के लिए भी आठ दिन ही दिए गए हैं। विधायकों को 27 जून तक ऑफलाइन और 26 जून तक ऑनलाइन सवाल जमा कराने थे जिसमें करीब 1200 सवाल आए हैं। बता दें कि लेखानुदान से चल रही सरकार प्रदेश का बजट सत्र मार्च में आयोजित किया गया था लेकिन बीच में ही कमलनाथ सरकार गिर गई। 20 मार्च को मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद कोरोना महामारी के बीच भाजपा से शिवराज सिंह चौहान ने 23 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।

बजट पारित नहीं हो पाने के कारण लेखानुदान से सरकार ने काम चलाया और अब सरकार को कोरोना की विपरीत परिस्थितियों के कारण 31 जुलाई तक बजट को पारित करना जरूरी हो गया है। वरिष्ठ कांग्रेस विधायक एवं पूर्व संसदीय कार्यमंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने आरोप लगाया है कि सत्र की अधिसूचना जारी करने के बाद विधायकों को सवाल पूछने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया है। वहीं विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर जगदीश देवड़ा ने कहा कि कोरोना संकट है लेकिन बजट पारित होना भी जरूरी है इसलिए सत्र को छोटी अवधि का रखा गया है।