स्पर्धा, चुनौती, असफलता कदम दर कदम हर व्यक्ति के सामने आती है। कोई इन विषम परिस्थितियों को सहज व सरल रूप में लेता है तो कोई एक के बाद एक आ रही इन परिस्थितियों में स्वयं को सामान्य नहीं रख पाता, फलत: डिप्रेशन का शिकार हो जाता है। डिप्रेशन अनेक कारणों से होता है।
– जिनके जीवन में शांति नहीं होती।
– आवश्यकताएं व आकांक्षाएं अधिक हैं पर उन्हें पूरा करने के साधन सीमित हैं।
– पति-पत्नी यौन संपर्क में एक दूसरे को संतुष्ट न कर पाते हों।
– अच्छी नौकरी पाने की योग्यता सूची में आप फिट नहीं बैठते हैं।
– बॉस आपसे संतुष्ट नहीं, फलत: आपसे जूनियर तरक्की पाकर आगे बढ़ जाते हैं।
– कल्पना या आशा से कम सुंदर जीवन साथी मिला।
– पत्नी कर्कशा आ गई या फिर पत्नी को शराबी, मांसाहारी, जुआरी या गलत सोसायटी में रहने वाला पति मिला।
– पति रात को ज्यादा देर तक घर से बाहर रहे।
– पति पत्नी की इच्छा के बगैर भी यौन संबंध को आतुर रहे।
– पति अधिक सुंदर, योग्य, सुसंस्कृत, शालीन हो तथा पत्नी तेज, कर्कशा, अशिष्ट और काली-कलूटी हो।
– पति कमाऊ हो और पत्नी रसोई व घर के कामों में अयोग्य हो।
– पत्नी पति से अधिक शिक्षित, सुंदर, योग्य, शालीन हो पर पिता के पास धनाभाव के कारण समकक्ष वर न पा सकी हो।
– दुराचारी पति मिले। धन की कमी तो न हो पर सारे ऐब हों।
– पति या पत्नी किसी एक की कमी के कारण संतान न हो। एक दूसरे पर दोषारोपण करते रहें।
– पति-पत्नी एक दूसरे की भावना के प्रति सहृदयी न रहें।
– पति-पत्नी एक दूसरे से कटुता से बोलें, मान-सम्मान न करें, क्र ोध करें।
– जब बच्चे माता पिता को सम्मान न दें।
– जब बच्चे मान-मर्यादा का ध्यान न रख तनावपूर्ण शब्दों का प्रयोग करें।
– माता-पिता के जीवनकाल में ही बच्चे उनकी संपत्ति हड़पने या बांटने की चाल चलें।
– कोई असाध्य बीमारी जैसे कैंसर, एड्स या हार्ट अटैक हो चुका हो।
उपरोक्त पहलुओं में से किसी भी एक पहलू से भी रूबरू होने से डिप्रेशन की विषम स्थिति उत्पन्न हो जाती है। मन बेचैन, दुखी, निराश, अतृप्त, चिड़चिड़ा हो जाता है। मन उखड़ा सा रहता है। किसी काम में मन नहीं लगता। जीवन बोझ बन जाता है।