उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार की असफलता इसी से जाहिर है कि प्रदेश में संक्रमण के मामले थम नहीं रहे हैं। सरकार के अव्यवहारिक निर्णयों से इसमें और वृद्धि की आशंका है। मुख्यमंत्री न तो कानून व्यवस्था संभाल पा रहे हैं और न ही अपने अधिकारियों पर अंकुश लगा पा रहे हैं। जनता से किए वादे भी नहीं निभा पा रहे हैं। अपनी नाकामियों को स्वीकार करते हुए वह इस्तीफा क्यों नहीं दे देते हैं?
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने शनिवार को जारी बयान में कहा कि संकट काल में भाजपा सरकार की कार्यप्रणाली की कीमत लोगों को अपने जान-माल से चुकानी पड़ रही है। सत्ता में बैठे भाजपाई अपनी संकीर्ण मानसिकता के साथ बेबस मजदूरों के मामले में भी चुनावी स्वार्थ साधने में लगे हैं। जनता की निगाहों में भाजपाई राहत और सेवा का सच सामने आने से बौखलाए मुख्यमंत्री अब विपक्ष की आलोचना का झूठा सहारा ले रहे हैं।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में मजदूर मजबूरी में भटक रहे हैं। स्टेशन तय न होने से ट्रेनें अटक रही हैं, बसों की भारी कमी है। प्रशासनिक अधिकारी अब भोजन-पानी की व्यवस्था में भी उदासीनता बरत रहे हैं। सरकारी दावों के बाद भी हकीकत यह है कि गुजरात-महाराष्ट्र से ट्रक, बाइक, साइकिल व अन्य साधनों से रोज हजारों श्रमिक प्रदेश में आ रहे हैं। पैदल लौटने पर मजबूर प्रदेश की एक गरीब गर्भवती का सड़क के किनारे ही प्रसव हो गया। सपा ने इन जैसे कई पीड़ित परिवारों को एक-एक लाख रुपये की मदद दी है।
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आगरा के थाना पिनाहट के एक गांव में 13 मई को 15 वर्षीय नवयुवती के साथ हुए दुष्कर्म की घटना की निंदा करते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। अखिलेश ने कहा कि इस घटना से स्थानीय लोगों में आक्रोश व्याप्त है। दबंगों के आतंक से लोग डरे हुए हैं। आरोप लगाया कि भाजपा नेता मामले को रफा-दफा करने के लिए पीडि़ता पर दबाव बना रहे हैैं। उन्होंने कहा कि भाजपा राज में लॉकडाउन के दौरान भी बच्चियों की इज्जत सुरक्षित नहीं है। सपा की मांग है कि पीड़िता को न्याय मिलना चाहिए तथा सभी अपराधियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए।