ब्रिटेन में अवैध प्रवासियों से जुड़ा ‘रवांडा बिल’ संसद के निचले सदन यानी हाउस ऑफ कॉमंस में पास हो गया है। इसे प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के लिए राहत के तौर पर देखा जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस बिल को लेकर सुनक की कंजरवेटिव पार्टी के बड़े नेता बगावत कर रहे थे। ये नेता नहीं चाहते थे कि बिल पास हो इसलिए वो सुनक के खिलाफ थे।
संसद के लोइर हाउस (हाउस ऑफ कॉमंस) में बिल के पक्ष में 320 वोट पड़े। 276 सांसदों ने बिल के खिलाफ वोट किया। इसमें पूर्व गृहमंत्री सुएला ब्रेवरमैन, पूर्व मंत्री रॉबर्ट जेनेरिक समेत सुनक की सत्ताधारी कंजरवेटिव पार्टी के 11 नेता शामिल थे। कंजरवेटिव पार्टी के 18 सांसदों ने वोट ही नहीं दिया।
अब यह बिल संसद के अपर हाउस यानी हाउस ऑफ लॉर्ड्स में पेश किया जाएगा। इस बिल को लेकर सुनक विरोधी नेताओं की गुटबाजी के चलते PM सुनक पर इस्तीफे का खतरा बढ़ रहा था। ये नेता सुक के खिलाफ तख्तापलट की साजिश रच रहे थे।
ब्रिटेन में अवैध आप्रवासन एक बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है। इसे रोकने और देश की सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए PM सुनक ‘रवांडा बिल’ लेकर आए। इसके तहत ब्रिटेन सरकार ने अपने यहां शरण मांगने वाले शरणार्थियों (वैध-अवैध) को नहीं रखने का फैसला करते हुए, उन्हें साउथ अफ्रीकी देश रवांडा भेजने के लिए एक सिस्टम तैयार किया। इसे लेकर ब्रिटेन और रवांडा के बीच समझौता हुआ।
जून 2023 में ब्रिटेन की सुप्रीम कोर्ट ने शरणार्थियों को रवांडा भेजने की यूके सरकार की योजना को गैरकानूनी बताया था। अदालत का मानना था कि रवांडा एक सुरक्षित देश नहीं है। इसके बाद बिल में एक संशोधन जोड़ा गया। इसमें कहा गया कि रवांडा को एक सुरक्षित देश माना जाए।
यूनाइटेड किंगडम और रवांडा के बीच अप्रैल 2022 में इस असाइलम पॉलिसी पर एग्रीमेंट हुआ। ये करार 5 साल के लिए है। दोनों देशों के बीच हुए समझौते (MoU) के मुताबिक ब्रिटेन, शरण चाहने वाले नागरिकों की जांच करेगा और उनके लिए रवांडा तक सुरक्षित ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था भी करेगा। शरणार्थियों के आने पर, रवांडा के हर नागरिक को शरणार्थियों के साथ होने वाले किसी भी दुर्व्यवहार को रोकना होगा। यदि रवांडा, किसी को अपने देश में शरण नहीं देना चाहता, तब उसे वापस उसके देश भेज दिया जाएगा।
ब्रिटेन आने वाले ज्यादातर अवैध शरणार्थी इंग्लिश चैनल पार करके आते हैं। अवैध इसलिए कि नावों से आ रहे लगभग 98% लोगों के पास पासपोर्ट नहीं होता। वे बिना किसी पहचान के UK पहुंच जाते हैं।
सुनक सरकार ने आते ही जो वादे किए, उनमें से एक था चैनल क्रॉस करने वालों पर रोक लगाना। अगर लोग तब भी चोरी-छिपे आ जाएं तो एक और तरीका था- रवांडा नीति।
ब्रिटिश नेशनलिटी एंड बॉर्डर्स एक्ट के मुताबिक उन्हीं लोगों को शरण मिल सकती है, जो वैध ढंग से आए हों और यूरोप के किसी देश के रहने वाले हों। लेकिन ज्यादातर लोग युद्ध में घिरे देशों से भागकर ब्रिटेन पहुंचते हैं। ब्रिटेन उन्हें वापस भगाकर खुद को क्रूर नहीं दिखा सकता। यही वजह है कि उसने रवांडा के साथ ऐसा करार किया जिससे वहां आए अवैध लोग रवांडा डिपोर्ट हो जाएं।