पश्चिम अफ्रीकी देश नाइजर में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों को भारत सरकार ने देश छोड़ने की एडवाइजरी जारी की है। फिलहाल नाइजर में करीब 250 भारतीय मूल के लोग रह रहे हैं। दरअसल नाइजर में पिछले महीने हुए सैन्य तख्तापलट के बाद से प्रदर्शन और हिंसा को दौर जारी है।
विदेश मंत्रालय ने अपनी एडवाइजरी में कहा कि जो लोग नाइजर जाना चाहते हैं वे हालात सामान्य होने का इंतजार करें। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा- भारत सरकार नाइजर की परिस्थिति पर नजर बनाए हुए है। मौजूदा हालात को देखते हुए, जिन भारतीयों का नाइजर में रुकना जरूरी नहीं हैं, वे जल्द से जल्द देश छोड़ दें।
उन्होंने आगे कहा- जिन भारतीयों ने राजधानी नियामे के दूतावास में रेजिस्ट्र्रेशन नहीं करवाया है, वो जल्द ही इस प्रक्रिया को पूरा कर लें। भारतीय नागरिक दूतावास के इमरजेंसी नंबर +22799759975 पर संपर्क कर सकते हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि नाइजर में फिलहाल एयरस्पेस बंद है, इसलिए बॉर्डर पार कर रहे लोगों को खास सावधानी बरतने की जरूरत है।
इससे पहले फ्रांस की सरकार ने 3 अगस्त को नाइजर से हजार से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू किया था। इनमें फ्रांस के अलावा 10-15 भारतीय भी शामिल थे। इसके अलावा फ्रांस ने यूरोप, लेटिन अमेरिका, अफ्रीका, मिडिल-ईस्ट के भी कुछ लोगों को रेस्क्यू किया था। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी थी।
26 जुलाई को पश्चिमी अफ्रीकी देश नाइजर में सेना ने तख्तापलट कर दिया था। कुछ हथियार बंद सैनिकों ने राष्ट्रपति भवन में घुसकर उस पर कब्जा कर लिया था। इसी के साथ राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम को सत्ता से हटाकर कैद कर लिया गया था।
न्यूज एजेंसी रायटर्स के मुताबिक, सेना ने तख्तापलट का ऐलान नेशनल टीवी पर आकर किया था। कर्नल अमादौ अब्द्रमाने ने दूसरे सैन्य अधिकारियों के साथ टीवी पर आकर राष्ट्रपति को सत्ता से बेदखल करने की बात कही थी।
कर्नल ने आगे कहा था कि बिगड़ती सुरक्षा स्थिति और खराब शासन के कारण हम राष्ट्रपति शासन को समाप्त कर रहे हैं। अब्द्रामने ने नाइजर के बॉर्डर सील करने की भी घोषणा की थी। पूरे देश में कर्फ्यू लगाया गया था और सभी सरकारी दफ्तरों को सस्पेंड कर दिया गया था।
इसके बाद UN और अमेरिका सहित यूरोपीय यूनियन, अफ्रीकी यूनियन और बाकी कई देशों ने भी तख्तापलट का विरोध किया था। UN और EU ने इसकी वजह से नाइजर को दिए जा रहे फंड्स पर भी रोक लगा दी थी।पश्चिम अफ्रीकी देशों के आर्थिक संगठन ECOWAS ने 4 अगस्त को मिलिट्री को 7 दिन का अल्टीमेटम दिया था। संगठन ने लोकतंत्र के तहत चुने गए राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम को जल्द रिहा करने को कहा था और ऐसा न करने पर बल प्रयोग की चेतावनी दी थी। इसके बाद से नाइजर में तनावपूर्ण हालात बने हुए हैं। हालांकि, सेना अभी भी पावर में बनी हुई है।