साल 2005 में अपने पाकिस्तान दौरे पर आडवाणी ने मो. अली जिन्ना की जो तारीफ की उसका खामियाजा वह बाकी जिंदगी भरते रहे। वही गलती अब उनके शिष्य माने जाने वाला शत्रुघ्न सिन्हा भी कर बैठे। सिन्हा ने छिंदवाड़ा रैली में गांधी-नेहरु-पटेल के साथ मो. अली जिन्ना को कांग्रेस से जोड़कर जो बयान दिया उस पर सियासी तूफान उठ खड़ा हुआ। अब वह भाजपा के निशाने पर हैं और कांग्रेस में भी कोई उनका साथ नहीं दे रहा। आज से करीब 14 साल पहले आडवाणी पाकिस्तान के कराची में जिन्ना के मकबरे पर गए थे और वहां मौजूद आगंतुक रजिस्टर में लिखा, ‘ऐसे कई लोग हैं जो इतिहास पर अपनी अमिट पहचान छोड़ जाते हैं। लेकिन बहुत कम लोग हैं जो वास्तव में इतिहास बनाते हैं, कायद-ए-आज़म मोहम्मद अली जिन्ना एक ऐसे ही दुर्लभ व्यक्ति थे।
रजिस्टर में उन्होंने आगे लिखा, ‘अपने शुरुआती सालों में, भारत की स्वतंत्रता संग्राम की अग्रणी सरोजिनी नायडू ने श्री जिन्ना को ‘हिंदू-मुस्लिम एकता के राजदूत’ के रूप में वर्णित किया था। 11 अगस्त, 1947 को पाकिस्तान की संविधान सभा को संबोधित करते हुए उनका बयान वास्तव में उत्कृष्ट था, एक धर्मनिरपेक्ष राज्य का सशक्त अनुरक्षण जिसमें, हर नागरिक अपने धर्म का अभ्यास करने के लिए स्वतंत्र होगा, राज्य नागरिकों की आस्थाओं के आधार पर उनके बीच कोई अंतर नहीं करेगा। इस महान व्यक्ति को मेरी आदरणीय श्रद्धांजलि।
आडवाणी एक तरह से जिन्ना की तारीफ कर रहे थे जिन्हें भारत के विभाजन का दोषी माना जाता है। इस विभाजन में हजारों लोगों ने अपनी जान गंवाई, लाखों बेघर हुए। भारत के इतिहास में ये सबसे कड़वा अध्याय माना जाता है। आडवाणी को इस बयान का खामियाजा भी उठाना पड़ा। बताया जाता है कि इसने संघ को बुरी तरह नाराज कर दिया। वह दरकिनार किए जाने लगे। 2009 में उनकी जगह नरेंद्र मोदी को पीएम उम्मीदवार बनाया गया। धीरे-धीरे वह पार्टी में हाशिए पर जाते चले गए।
26 अप्रैल को इसी तरह का एक छोटा सा बयान शत्रुघ्न सिन्हा भी दे बैठे। मध्यप्रदेश की छिंदवाड़ा रैली में उन्होंने एक रौ में कहा- कांग्रेस परिवार महात्मा गांधी से लेकर सरदार वल्लभ भाई पटेल तक, मो. अली जिन्ना से लेकर जवाहर लाल नेहरू तक, इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी और राहुल गांधी तक की पार्टी है। भारत की आजादी और विकास में इन सभी का योगदान है। इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी में आया हूं। और एक बार आ गया हूं, पहली और शायद आखिरी बार, अब जाने का सवाल नहीं है।
उनका ये बयान उनके लिए आफत बन गया। भाजपा ने तो निशाने पर लिया ही, कांग्रेस में भी कोई बचाव करने वाला नहीं मिला। पी चिंदबरम ने सिन्हा को खुद ही सफाई देने की नसीहत दे डाली। साथ ही भाजपा को घेरा कि सिन्हा इतने सालों तक पार्टी में क्यों थे?
विवाद ने इस कदर तूल पकड़ा कि सिन्हा को इस पर सफाई देनी पड़ी। सिन्हा ने कहा कि मैंने एक धारा में जिन्ना का नाम ले लिया। मेरी जुबान फिसल गई। दरअसल मैं मौलाना अबुल कलाम का नाम लेना चाहता था। भले ही उन्होंने सफाई दे दी हो, लेकिन इस वाकये ने उन्हें फिर विवादों में ला दिया। अकसर अपने बयानों से वह भाजपा में विवादों की वजह बनते थे, लेकिन अब इसकी शुरुआत उन्होंने कांग्रेस में भी कर दी है।