चीन से पैदा हुई कोविड महामारी ने जब दुनिया को हलकान कर रखा है और चीन आधारित सप्लाई चेन का विकल्प खोजने की कोशिश हो रही है तब अंतरराष्ट्रीय फलक पर भारत ने अपनी दावेदारी पेश कर दी है। यह दावेदारी पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को यूएस-इंडिया स्ट्रेटजिक पार्टनरशिप फोरम की बैठक को संबोधित करते हुए पेश की और अमेरिका समेत तमाम देशों की कंपनियों से आग्रह किया कि वे भारत के राजनीतिक एवं नीतिगत स्थायित्व का फायदा उठाएं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया भारत पर भरोसा करती है। इसका उदाहरण कोविड काल में भी बड़ी-बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की तरफ से भारत में निवेश करने का फैसला है। महामारी ने दुनिया को दिखाया है कि ग्लोबल सप्लाई चैन को विकसित करने में केवल कॉस्ट (कीमत) ही नहीं बल्कि ट्रस्ट (विश्वास) भी महत्वपूर्ण है। आत्मनिर्भर भारत का उद्देश्य भी भारत को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में विकसित करना है। ऐसे समय जब दुनिया में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में गिरावट देखी गई है। साल 2019 में भारत में FDI में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
अनुमान था कि पीएम इस मंच पर चीन के साथ चल रहे मौजूदा सैन्य विवाद को लेकर अपनी राय रखेंगे लेकिन उन्होंने अपने भाषण का फोकस कोविड से उपजी आर्थिक चुनौतियों पर रखा। इसके पीछे एक वजह तो यह बताई जा रही है कि पीएम मोदी के भाषण से पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने चीन और पाकिस्तान को कड़ा संदेश दे दिया था। ऐसे में पीएम मोदी ने अपने आपको चीन विवाद से दूर रखा।
दूसरी वजह यह भी है कि सरकार अंदरखाने मान रही है कि आर्थिक तौर पर उपजी चुनौतियां भी कम गंभीर नहीं हैं और अभी चीन को लेकर जो वैश्विक माहौल बना है, उसका पूरा आर्थिक लाभ उठाने की कोशिश करनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने हाल के दिनों में सरकार की तरफ से जारी तमाम आर्थिक सुधारों के बारे में बताया और कहा कि अब कंपनियां नीतिगत व राजनीतिक स्थायित्व की तलाश में हैं। भारत के पास ये सारे गुण हैं।
लोकल को ग्लोबल के साथ मिलाने पर जोर
प्रधानमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के जरिये सरकार ने लोकल को ग्लोबल के साथ मिलाने की नीति लागू की है। हमारा उद्देश्य दुनिया की भलाई करना है। हमें वैश्विक तौर पर भरोसेमंद माना जाता है। आत्मनिर्भर व शांतिप्रिय भारत एक बेहतर विश्व के लिए जरूरी है। इस साल भारत में जिस तरह से 20 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आया है, उसे पीएम मोदी ने वैश्विक कंपनियों के बढ़ते भरोसे के तौर पर चिन्हित किया। वैश्विक निवेशकों को उन्होंने कहा कि वे भारत की सरकार पर भरोसा कर सकते हैं क्योंकि यह सरकार नतीजा देने में विश्वास रखती है।
भारतीयों ने जिस तरह से कोविड-19 को हराने के लिए एकजुटता एवं हिम्मत दिखाई है, पीएम मोदी ने उसकी भी जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि इस महामारी ने बहुत से क्षेत्रों पर असर डाला है, लेकिन 1.3 अरब भारतीयों की उम्मीदों व आकांक्षाओं पर कोई असर नहीं डाल पाई है। कुछ महीनों में ही भारत में कोविड टेस्टिंग लैब की संख्या एक से बढ़कर 1600 हो गई है। भारत पीपीई जैसे उत्पादों का वैश्विक आपूर्तिकर्ता देश बन गया है। प्रति दस लाख मौत के मामले में भारत सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले देशों में है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 1.3 अरब भारतीयों का एक ही मिशन है आत्मनिर्भर भारत… आत्मानिर्भर भारत लोकल को ग्लोबल में बदलता है। यह सुनिश्चित करता है कि भारत की ताकत वैश्विक शक्ति को मजबूती देने का काम करे। भारत में चुनौतियों का सामना करने के लिए एक ऐसी सरकार है जो परिणाम देने में विश्वास रखती है। भारत में 80 करोड़ लोगों को फ्री में अनाज दिया जा रहा है। आठ करोड़ लोगों को फ्री कुकिंग गैस दी जा रही है। हाल के दिनों में भारत में कई सारे सुधार किए गए हैं। सरकार ने कारोबार को आसान बनाया है।
बता दें कि 31 अगस्त से चल रहे इस पांच दिवसीय शिखर सम्मेलन का विषय अमेरिका-भारत की नई चुनौतियां (US-India Navigating New Challenges) हैं। इसमें विभिन्न विषयों को शामिल किया गया है। इसमें कई केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी भाग ले रहे हैं। अमेरिकी उप विदेश मंत्री माइक पेंस और विदेश मंत्री एस जयशंकर भी इसमें अपना भाषण दे चुके हैं। इसमें भारत का वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने की क्षमता, भारत के गैस बाजार में अवसर, सार्वजनिक स्वास्थ्य और अन्य में नवाचार जैसे मसले शामिल हैं।
प्रधानमंत्री मोदी 26 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा की वर्चुअल बैठक को भी संबोधित कर सकते हैं। 193 सदस्य देशों के वैश्विक निकाय ने की ओर से जारी सूची के मुताबिक, अमेरिका संयुक्त राष्ट्र का मेजबान देश है और इस साल राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अकेले ऐसे वैश्विक नेता होंगे जो इस बैठक को व्यक्तिगत रूप से मौजूद रहकर संबोधित करेंगे। संयुक्त राष्ट्र के 75 साल के इतिहास में पहली बार महासभा का वार्षिक सत्र ऑनलाइन माध्यम से हो रहा है।